आरटीआई कार्यकर्ता अमित जेठवा की 2010 में हुई हत्या के मामले में अहमदाबाद स्थित सीबीआई की एक विशेष अदालत ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के पूर्व सांसद दीनू बोघा सोलंकी और छह अन्य को गुरुवार(11 जुलाई) को उम्रकैद की सजा सुनाई। बता दें कि जेठवा ने गिर वन क्षेत्र में अवैध खनन गतिविधियों को सामने लाने का प्रयास किया था, जिसके चलते गुजरात हाई कोर्ट के बाहर उनकी हत्या कर दी गई थी।

विशेष सीबीआई न्यायाधीश के एम दवे ने सोलंकी और उसके भतीजे पर 15-15 लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया। उसका भतीजा भी मामले में आरोपी है। अदालत ने गुरुवार को फैसला सुनाते हुए सोलंकी और उसके भतीजे शिवा सोलंकी को हत्या तथा साजिश रचने का दोषी ठहराया। सोलंकी 2009 से 2014 तक जूनागढ़ के सांसद रहे हैं।
मामले के अन्य दोषियों में शैलेश पांड्या, बहादुरसिंह वढेर, पंचन जी देसाई, संजय चौहान और उदाजी ठाकोर शामिल हैं। अदालत ने गत शनिवार का सभी सातों आरोपियों को हत्या का दोषी ठहराया था। पेशे से वकील जेठवा की गिर वन्यजीव अभयारण्य और उसके आसपास अवैध खनन का आरटीआई आवेदनों के जरिए खुलासा करने को लेकर गोली मारकर हत्या कर दी गई। इन खनन गतिविधियों में सोलंकी शामिल था।
साल 2010 में जेठवा ने गिर अभयारण्य में और उसके आसपास अवैध खनन के खिलाफ जनहित याचिका दायर की थी। सोलंकी और उसके भतीजे को इस मामले में प्रतिवादी बनाया गया और जेठवा ने अवैध खनन में उनकी संलिप्तता को दिखाने वाले कई दस्तावेज पेश किए थे। जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान ही जेठवा की 20 जुलाई 2010 को गुजरात हाई कोर्ट के बाहर गोली मारकर हत्या कर दी गई थी।
शुरुआत में अहमदाबाद पुलिस की अपराध शाखा ने मामले की जांच की और दीनू सोलंकी को क्लीन चिट दे दी थी। जांच पर असंतोष जताते हुए हाई कोर्ट ने साल 2013 में मामला केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को सौंप दिया। अदालत ने वर्ष 2009 से 2014 तक गुजरात के जूनागढ़ का प्रतिनिधित्व कर चुके सोलंकी को उनके चचेरे भाई शिव सोलंकी और पांच अन्य के साथ भारतीय दंड संहिता के तहत हत्या और आपराधिक साजिश रचने के आरोपों में दोषी करार दिया था। मामले में दोषी पाए गए पांच अन्य आरोपियों में शैलेष पंड्या, बहादुरसिंह वढेर, पंचेन जी देसाई, संजय चौहान और उदयजी ठाकोर हैं।