देश के पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार (सीईए) अरविंद सुब्रमण्यन ने पहली बार केंद्र की मोदी सरकार के नोटबंदी के फैसले पर अपनी चुप्पी तोड़ी है। उन्होंने नोटबंदी को देश के लिए जबरदस्त मौद्रिक झटका करार दिया है, जिससे देश की विकास दर पटरी से उतर गई।
(PTI File Photo)सुब्रह्मण्यम ने अपनी किताब ‘ऑफ काउंसिल: द चैलेंजेज ऑफ द मोदी-जेटली इकोनॉमी’ में नोटबंदी पर एक चैप्टर भी लिखा है। अपनी किताब के एक चैप्टर ‘द टू पज़ल्स ऑफ डिमोनेटाइजेशन- पॉलिटिकल एंड इकॉनोमिक’ में उन्होंने लिखा है, नोटबंदी एक बड़ा, सख्त और मौद्रिक झटका था, इसके बाद बाजार से 86 फीसदी मुद्रा हटा ली गई थी। इस फैसले की वजह से जीडीपी प्रभावित हुई थी। ग्रोथ पहले भी कई बार नीचे गिरी है, लेकिन नोटबंदी के बाद यह एक दम से नीचे आ गई।
उन्होंने कहा कि नोटबंदी बड़े मात्रा में एक सख्त कानून था और इससे मौद्रिक (मॉनेटरी) झटका लगा। इसके कारण भारत की अर्थव्यवस्था 7 क्वार्टर के सबसे निचले स्तर 6.8 प्रतिशत पर आ गई। उन्होंने कहा कि नोटबंदी से पहले यह 8 प्रतिशत थी। बता दें कि जब नोटबंदी लागू की गई थी तब अरविंद सुब्रमण्यन भारत के मुख्य आर्थिक सलाहकार थे।
बता दें कि अरविंद सुब्रह्मण्यम ने इसी साल जून में अचानक अपना पद छोड़ने का फैसला किया था। उनका कार्यकाल 2019 तक था पर पारिवारिक कारणों का हवाला देते हुए वो अमेरिका लौट गए।
सुब्रमण्यन की नोटबंदी पर प्रतिक्रिया आने के बाद तमाम किस्म की प्रतिक्रियाएं सामने आई हैं। तृणमूल कांग्रेस नेता डेरेक ओ ब्रायन ने लिखा है कि अरविंद तृणमूल, या कांग्रेस या किसी और पार्टी के नेता नहीं है, उनकी जुबानी समझिए नोटबंदी को। वहीं, कर्नाटक कांग्रेस अध्यक्ष ने सुब्रमण्यन के बयान को नोटबंदी पर मोदी सरकार के फैसले में ताबूत की आखिरी कील बताया है।
Ladies & Gentlemen He is not an official spokesperson of @AITCofficial or @INCIndia or @arivalayam DMK or @JaiTDP or @RJDforIndia or @AamAadmiParty or BSP/SP or Left.”Demonetisation was draconian, massive shock for Indian economy” says Arvind Subramanian https://t.co/Mzh7hpzC4R
— Derek O'Brien | ডেরেক ও’ব্রায়েন (@derekobrienmp) November 29, 2018
And now comes the last nail on the coffin. The Modi government's ex-chief economic adviser Arvind Subramanian has gone on record that #demonetisation was a massive, draconian, monetary shock that accelerated economic slide. Over to Mr @arunjaitley https://t.co/pPQngH7reY
— KPCC President (@KPCCPresident) November 29, 2018
बता दें कि 8 नवंबर 2016 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 500 और 1000 रुपये के पुराने नोटों को प्रचलन से बाहर करने की घोषणा की थी। उस वक्त बाजार में चल रही कुल करेंसी का 86 प्रतिशत हिस्सा यही नोट थे। जानकारों ने तभी नोटबंदी के फैसले के कारण अर्थव्यवस्था की हालत बुरी होने, बेरोजगारी बढ़ने और सकल घरेलू उत्पाद जीडीपी कम होने की आशंका जताई थी और नोटबंदी के बाद जितने भी रिपोर्ट आए उसमें यह साबित भी हुआ।