नोटबंदी सरकार के दिमाग में चढ़ी सनक का सबसे चरम उदाहरण है: फो‌र्ब्स

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फो‌र्ब्स पत्रिका ने मोदी सरकार के नोटबंदी के फैसले की तीखी आलोचना की है। फोर्ब्स मीडिया के एडिटर इन चीफ स्टीव फोर्ब्स ने नोटबंदी के फैसले को अनैतिक करार देते हुए इसे जनता के पैसे पर डाका बताया है। पत्रिका के मुताबिक नोटबंदी से देश में अरबों का नुकसान हो सकता है, वहीं दूसरी इस फैसले से देश के गरीब लाखों लोगों की हालत बदतर हो सकती है।

मीडिया रिपोट्स के मुताबिक, स्टीव फोर्ब्स ने नोटबंदी के फैसले पर संपादकीय लिखा है। यह संपादकीय 24 जनवरी 2017 को मैगजीन के प्रिंट इशू में पढ़ने को मिलेगा। हालांकि फोर्ब्स की साइट पर यह अभी से उपलब्ध है। फोर्ब्स ने लिखा है कि मोदी सरकार ने बिना किसी चेतावनी के देश की 85 फीसदी करंसी को खत्म कर दिया। हैरान जनता को बैंकों से कैश बदलवाने के लिए महज कुछ हफ्तों का समय दिया गया।

फोर्ब्स के मुताबिक आर्थिक उथल-पुथल को इस बात से भी बढ़ावा मिला कि सरकार पर्याप्त मात्रा में नए नोट नहीं छाप पाई, नए नोटों का आकार भी पुराने नोटों से अलग है, इस कारण से एटीएमों के लिए बड़ी परेशानी खड़ी हो गई। लेख में कहा गया है, भारत हाईटेक पावरहाउस है लेकिन देश के लाखों लोग अभी भी भीषण गरीबी में जी रहे हैं। नोटबंदी के फैसले के कारण भारतीय शहरों में काम करने वाले कामगार अपने गांवों को लौट गए हैं क्योंकि बहुत से कारोबार बंद हो रहे हैं।

फोर्ब्स ने भारतीय अर्थव्यवस्था के नकद पर अत्यधिक निर्भर होने का मुद्दा उठाते हुए कहा है कि यहां ज्यादातर लोग नियमों और टैक्स की वजह से अनौपचारिक तरीके अपनाते हैं। फोर्ब्स ने नोटबंदी के फैसले को जनता की संपत्ति की लूट बताया है। फोर्ब्स ने लिखा,  भारत सरकार ने उचित प्रक्रिया के पालन का दिखावा भी नहीं किया- किसी लोकतांत्रिक सरकार का ऐसा कदम स्तब्ध कर देने वाला है। फोर्ब्स के अनुसार, भारत सरकार इस तथ्य को दबा रही है कि नोटबंदी के फैसले से भारत को अरबों डॉलर का नुकसान हो सकता है।

स्टीव फोर्ब्स के मुताबिक टैक्स चोरी से बचने का सबसे आसान उपाय एकसमान टैक्स दर, या कम से कम एक सरल और कम दर वाली टैक्स प्रणाली लागू करना होता है, जिसके बाद टैक्स चोरी करना ही व्यर्थ लगने लगे। स्टीव के मुताबिक कानूनन व्यापार करना आसान कर देंगे, तो ज़्यादातर लोग सही व्यापार करेंगे।

स्टीव फोर्ब्स का कहना है कि भारत इस समय नकदी के खिलाफ सरकारों के दिमाग में चढ़ी सनक का सबसे चरम उदाहरण है। बहुत-से देश बड़ी रकम के नोटों को बंद करने की दिशा में बढ़ रहे हैं, और वही तर्क दे रहे हैं, जो भारत सरकार ने दिए हैं, लेकिन इसे समझने में कोई चूक नहीं होनी चाहिए कि इसका असली मकसद क्या है – आपकी निजता पर हमला करना और आपकी ज़िन्दगी पर सरकार का ज़्यादा से ज़्यादा नियंत्रण थोपना।

स्टीव फोर्ब्स के अनुसार, भारत सरकार का यह घोर कृत्य अनैतिक भी है, क्योंकि मुद्रा वह वस्तु है, जो लोगों द्वारा बनाई गई वस्तुओं का प्रतिनिधित्व करती है। मुद्रा बिल्कुल वैसा ही वादा होती है, जैसा कोई सिनेमा या कार्यक्रम में शामिल टिकट होती है, जो आपको सीट मिलने की गारंटी देती है।

इस तरह के संसाधन सरकारें नहीं, लोग पैदा करते हैं। जो भारत ने किया है, वह लोगों की संपत्ति की बहुत बड़े पैमाने पर चोरी है, जो लोकतांत्रिक तरीके से चुनी हुई सरकार द्वारा किए गए होने की वजह से ज़्यादा चौंकाती है। ऐसा कुछ वेनेज़ुएला जैसे देश में होता, तो शायद इतनी हैरानी नहीं होती। और इससे भी कोई हैरानी नहीं होती कि सरकार इस सच्चाई को छिपा रही है कि इस एक कदम से एक ही झटके में दसियों अरब डॉलर का नुकसान होने जा रहा है।

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