उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले में बाबा राघव दास (बीआरडी) मेडिकल कॉलेज में कथित तौर पर ऑक्सीजन की कमी के कारण पिछले सप्ताह 60 से अधिक बच्चों की मौत मामले में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के आदेश के बाद बुधवार(23 अगस्त) देर रात लखनऊ के हजरतगंज थाने में मामला दर्ज करा दिया गया।
(AFP)न्यूज एजेंसी ANI के मुताबिक, मुख्यमंत्री योगी के आदेश पर ऑक्सीजन सप्लाइ करने वाली कंपनी के निदेशक, तत्कालीन प्रिंसिपल डॉ. राजीव मिश्रा और बीआरडी अस्पताल के डॉ. कफील खान सहित 9 लोगों के खिलाफ FIR दर्ज किया गया है। बता दें कि इससे पहले मुख्य सचिव राजीव कुमार की अध्यक्षता में गठित जांच समिति ने सोमवार(21 अगस्त) को अपनी रिपोर्ट सीएम योगी को सौंपी थी।
#Gorakhpur child deaths case: FIR registered against director of oxygen supplying firm, BRD Hopsital's Dr Kafeel Khan and 7 others
— ANI UP (@ANINewsUP) August 24, 2017
लखनऊ जोन के अपर पुलिस महानिदेशक अभय प्रसाद ने गुरुवार(24 अगस्त) को बताया कि चिकित्सा शिक्षा विभाग के महानिदेशक के. के. गुप्ता की तहरीर पर गोरखपुर मेडिकल कॉलेज के पूर्व प्राचार्य डॉक्टर आर. के. मिश्रा, इंसेफेलाइटिस वार्ड के नोडल अफसर डॉक्टर कफील खान, मेडिकल कॉलेज में ऑक्सीजन की आपूर्तिकर्ता कंपनी पुष्पा सेल्स समेत नौ लोगों के खिलाफ धारा 120 बी साजिश करने, 308 गैर इरादतन हत्या तथा भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की सम्बन्धित धारा के तहत कल रात हजरतगंज कोतवाली में मुकदमा दर्ज करवाया गया।
गौरतलब है कि पिछली 10-11 अगस्त की रात को गोरखपुर मेडिकल कॉलेज में ऑक्सीजन की कमी से 30 बच्चों की मौत हो गई थी, जबकि एक सप्ताह के दौरान 60 से अधिक बच्चों की मौत हो गई थी। इस मामले में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 12 अगस्त को मुख्य सचिव की अध्यक्षता में एक समिति गठित की थी।
समिति ने गत 20 अगस्त को सरकार को सौंपी गई अपनी रिपोर्ट में गोरखपुर मेडिकल कॉलेज के तत्कालीन प्रधानाचार्य डॉक्टर राजीव मिश्रा, ऑक्सीजन प्रभारी, एनेस्थिसिया बाल रोग विभाग के अध्यक्ष डॉक्टर सतीश तथा एक्यूट इंसेफलाइटिस सिंड्रोम बोर्ड के तत्कालीन नोडल अधिकारी डॉक्टर कफील खान तथा मेडिकल कॉलेज में ऑक्सीजन की आपूर्तकिर्ता कंपनी पुष्पा सेल्स के खिलाफ आपराधिक कार्रवाई की सिफारिश की थी।
इसके अलावा समिति ने डॉक्टर राजीव मिश्रा और उनकी पत्नी डॉक्टर पूर्णमिा शुक्ला, मेडिकल कॉलेज के लेखा विभाग के कर्मचारियों तथा चीफ फार्मासिस्ट गजानन जायसवाल के खिलाफ भ्रष्टाचार उन्मूलन अधिनियम के तहत कार्रवाई की सिफारिश की है।
समिति ने गैर-जिम्मेदाराना आचरण, कर्तव्यहीनता और कर्मचारी आचरण नियमावली के प्रतिकूल रवैया अपनाने के लिए डॉक्टर राजीव मिश्रा, डॉक्टर सतीश, डॉक्टर कफील खान, गजानन जायसवाल एवं सहायक लेखाकार के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की सिफारिश भी की है।
इसके अलावा मेडिकल कॉलेज में औषधि तथा रसायनों की आपूर्ति की पिछले तीन वर्षों की कैग से विशेष ऑडिट कराने, डॉक्टर कफील खान द्वारा गोरखपुर के मुख्य चिकित्सा अधिकारी के समक्ष तथ्यों को छुपा कर शपथ पत्र दाखिल करने और इंडियन मेडिकल काउंसिल के नियमों के विपरीत काम करने के लिए आपराधिक कार्रवाई किए जाने की सिफारिश भी की गई है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मुख्य सचिव की अध्यक्षता में गठित जांच समिति की रिपोर्ट को स्वीकार करते हुए सभी दोषी अधिकारियों तथा कर्मचारियों के खिलाफ तत्काल कार्रवाई करने के आदेश देते हुए कहा है कि दोषी अधिकारियों तथा कर्मचारियों को किसी भी दशा में बख्शा न जाए और उनके खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई की जाए।
समिति ने इस प्रकरण में दोषी अधिकारियों तथा कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई प्रस्तावित करते हुए भविष्य में इस तरह की घटना की पुनरावृति ना होने देने तथा व्यवस्था में सुधार के लिए भी सुझााव दिए हैं। मुख्यमंत्री द्वारा गठित इस समिति में चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के सचिव आलोक कुमार, विा विभाग के सचिव मुकेश मिाल तथा संजय गांधी परास्नातक आयुर्वग्यिान संस्थान लखनउु के चिकित्सा अधीक्षक डॉक्टर हेमचंद्र भी शामिल थे।
बता दें कि गोरखपुर हादसे के बाद सीएम योगी ने बीआरडी मेडिकल कॉलेज के तत्कालिन प्रिंसिपल राजीव मिश्रा को निलंबित कर दिया था। मिश्रा के अलावा सीएम योगी के BRD अस्पताल दौरे से ठीक बाद हादसे के दौरान पीड़ितों के लिए मसीहा बने अस्पताल के वाइस प्रिंसिपल और सुपरिटेंडेंट डॉक्टर कफील खान को ड्यटी से हटा दिया गया था।
गौरतलब है कि गोरखपुर के सरकारी अस्पताल में पिछले एक सप्ताह में नवजात शिशुओं समेत 60 से ज्यादा मासूम बच्चों की मौत हो गई थी। इनमें से अधिकतर मौतें कथित रूप से आक्सीजन की कमी से हुई हैं, लेकिन योगी सरकार आक्सीजन की कमी के दावे को खारिज कर चुकी है।