नई दिल्ली। केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने शुक्रवार(10 फरवरी) को आखिरकार स्वीकार किया कि दिसंबर में भारत के औद्योगिक उत्पादन में गिरावट की बड़ी वजह नोटबंदी है। इसके साथ ही उन्होंने आगामी महीनों में इसमें इजाफे की संभावना भी जताई।
साथ ही जेटली ने कहा कि नवंबर और दिसंबर के आंकड़ें पूरे साल का प्रतिनिधित्व नहीं करते। यह नोटबंदी का दौर था और नवंबर के मुकाबले दिसंबर ज्यादा चुनौतीपूर्ण था, क्योंकि पहले तो कई क्षेत्रों में पुराने नोट मान्य थे, जबकि दिसंबर में यह पूरी तरह से बंद हो गया।
उन्होंने कहा कि दिसंबर में नई करंसी डालने का काम शुरुआती चरण में था। इसके साथ ही अनौपचारिक और औपचारिक अर्थव्यवस्था का एकीकरण हो रहा था। उन्होंने कहा कि आगामी महीनों में निश्चित तौर पर संगठित इकॉनमी में विस्तार की स्थिति देखेंगे।
गौरतलब है कि गत वर्ष 8 नवंबर को नोटबंदी की घोषणा के असर से खासकर टिकाऊ उपभोक्ता सामान उद्योग में बड़ी गिरावट के बीच दिसंबर में औद्योगिक उत्पादन (आईआईपी) एक साल पहले इसी माह की तुलना में 0.4 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है, जबकि नवंबर में इसमें 5.65 फीसदी की ग्रोथ दर्ज की गई थी।
औद्योगिक क्षेत्र का यह चार महीने का सबसे खराब प्रदर्शन है। आंकड़े बताते हैं कि नोटबंदी ने घरेलू उद्योग धंधों व कल-कारखानों को और चपत लगा गई है।