‘स्वच्छ भारत अभियान’ के तहत टॉयलेट बनवाकर बर्बाद हो गया यह परिवार, पढ़िए पूरी ख़बर

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केंद्र सरकार के महत्वपूर्ण अभियान स्वच्छ भारत के तहत देशभर के गांवों में स्वच्छता को देखते हुए गांव के अधिकतर लोगों ने अपने घर में टॉयलेट बनवाएं। लेकिन देश के कई हिस्सों में यह कार्य अभी भी जारी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वच्छ भारत मिशन का सपना कितना असर दार रहा इसका अंदाजा आप हमारी इस ख़बरे से लगा सकते है। छत्तीसगढ़ में खुले में शौच करने वालों कई परिवारों ने अपने घर में टॉयलेट का निर्माण करवाया लेकिन उसके बाद वो बुरे तरिके से फंस गए हैं।

जनसत्ता ख़बर के मुताबिक, इंडियन एक्सप्रेस को छत्तीसगढ़ के अंडी गांव के ऐसे कुछ लोगों के बारे में पता चला है जिन्होंने पैसे मिलने की आस में ब्याज पर पैसा लेकर घर में टॉयलेट बनया। लेकिन फिर सरकार की तरफ से जो प्रोत्साहन राशि देने का वादा किया गया था वह भी नहीं दी गई। इतना ही नहीं पैसे ना मिलने के बाद परिवार के लोग ब्याज पर लिए पैसे को चुकाने के लिए शहर में काम करने के लिए गए लेकिन वहां भी उन्हें धोखा मिला और पैसे देने की जगह उन्हें बंधक बना लिया गया।

इंडियन एक्सप्रेस की अंडी गांव में रहने वाले एक खंडे परिवार से बात हुई, खंडे परिवार के पास अपनी कोई जमीन नहीं है। परिवार बटाई पर खेती करता है। सरकार से पैसा मिलने की आस में उन्होंने प्रशासन के दबाव में टॉयलेट तो बनवा लिया, लेकिन परिवार का कहना है कि उन्हें कोई पैसा नहीं मिला। इसके बाद देनदारों के दबाव में परिवार का लड़का (सुभ खंडे) पैसा कमाने के लिए यूपी के देवरिया चला गया। वहां वह एक ईंट के भट्टे में काम करता है। परिवार का कहना है कि, सुभ अपनी पत्नी और बच्चे को लेकर देवरिया गया था। उसे उम्मीद थी कि पैसे कमाकर वह गांव जाकर देनदारों के पैसे चुका पाएगा, लेकिन वहां वह फंस गया।

दरअसल, जो शख्स उन्हें वहां लेकर गया था वह उन्हें दी जाने वाली सैलरी लेकर भाग गया। जिसकी वजह से सुभ और उसके जैसे कितने लोग अपने घर नहीं जा पा रहे। इतना ही नहीं सुभ ने अपने पिता को फोन करके बताया कि वहां उसको मारा-पीटा जाता है, गालियां दी जाती हैं और ज्यादा काम करवाया जाता है। इतना ही नही सुभ का कहना है कि, वहां पति-पत्नी को अलग रखा जाता है ताकि कोई भाग ना सके।

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, सुभ के पिता और मां ने बताया कि सरकार छत्तीगढ़ को खुले में शौच मुक्त करना चाहती थी। इसके लिए प्रशासन और पंचायत द्वारा नियमित रूप से उन लोगों को बेइज्जत किया जाने लगा जो खुले में शौच करते थे। ऐसे में लोगों ने घर में टॉयलेट बना लिया। कहा गया था कि 15 हजार रुपए सरकार की तरफ से प्रोत्साहन राशि के रूप में मिलेंगे, लेकिन कुछ भी नहीं दिया गया। हमने टॉयलेट बनवाने के लिए पांच प्रतिशत के ब्याज दर पर 20 हजार रुपए लिए। लेकिन टोटल अब ब्याज लगाकर उन्हें 32 हजार रुपए देने हैं।

परिवार का कहना है कि अब वो इस बात से बहुत परेशान है। जानकारी के अनुसार, अब छत्तीसगढ़ में रह रहे परिवार विरोध प्रदर्शन करके उनके परिवार के लोगों को वापस लाने का दबाव सरकार पर बना रहे हैं। अब देखना यह होगा कि सरकार इन परिवरों के लोगों के लिए क्या रास्ता निकालती है।

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