अरुण जेटली ने करेंसी के नोटों के इस्तेमाल को समाज के लिए बताया नुकसानदेह

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वित्त मंत्री अरुण जेटली ने गुरुवार (12 जनवरी) को कहा कि करेंसी नोटों का अत्यधिक इस्तेमाल समाज के लिए नुकसानदेह है। उन्होंने उम्मीद जताई कि नई बैंकिंग कंपनियों के आने के बाद बैंकिंग लेनदेन शुल्कों में कमी आएगी। वित्त मंत्री ने इस बात पर संतोष जताया कि डिजिटलीकरण उम्मीद से अधिक तेजी से हो रहा है।

उन्होंने कहा कि डाकघरों को बैंक में बदलना अगली ‘क्रांति’ होगी। एयरटेल के भुगतान बैंक के उद्घाटन के बाद जेटली ने नोटबंदी की विपक्षी दलों द्वारा की जा रही आलोचनाओं के मद्देनजर कहा कि जब करेंसी या नकदी का आविष्कार नहीं हुआ था तब भी शिकायतें रही होंगी या फिर कल को इसे खत्म कर दिया जाता है तो भी शिकायतें रहेंगी।

भाषा की खबर के अनुसार, उन्होंने कहा कि नोटबंदी के परिप्रेक्ष्य में देखा जाए, तो इसका मकसद कागज की करेंसी को डिजिटल अर्थव्यवस्था से बदलना है। ‘यह विस्तार किन्हीं भी टिप्पणीकारों के अनुमान से कहीं तेजी से हो रहा है और इसकी वजह स्पष्ट है। वित्त मंत्री ने कहा, ‘लोग यह समझने लगे हैं कि करेंंसी नोटों का अत्यधिक इस्तेमाल समाज के लिए बाधक है।

जो चल रहा है कि उसका सबसे बड़ा लाभ यह है कि भारत कम नकदी वाली अर्थव्यवस्था की ओर बढ़ रहा है।’ उन्होंने कहा कि देश की नई पीढ़ी उभरती प्रौद्योगिकियों तथा तकनीकों को काफी आसानी से अपना लेती है।

वित्त मंत्री जेटली ने उम्मीद जताई कि बैंकिंग क्षेत्र में और दूरसंचार खिलाड़ियों के आने के बाद वित्तीय समावेशन को बढ़ावा मिलेगा। डाकघरों के प्रवेश से एक नया आयाम मिलेगा।

उन्होंने कहा, ‘यदि आपके पास डाकघर हैं, मुझे लगता है कि अगली क्रांति होने वाली है। इन 1.75 लाख डाकघरों का पूरा इस्तेमाल नहीं हो पाया है। ये डाकघर खुद को बैंक के रूप में बदलने की तैयारी कर रहे हैं।

उन्होंने कहा, ‘जब अधिक से अधिक दूरसंचार कंपनियां मैदान में उतरेंगी तो हमें न केवल दूरसंचार कंपनियों में अधिक प्रतिस्पर्धा देखने को मिलेगी बल्कि परंपरागत तथा बैंकिंग के नए तरीके के बीच भी प्रतिस्पर्धा देखने को मिलेगी, जो आप लाने जा रहे हैं।’ उन्होंने कहा कि जब लेनदेन की संख्या बढ़ेगी, तो सेवा शुल्क की दरें न्यूनतम पर आएंगी। उन्होंने जैम (जनधन, आधार और मोबाइल) और डिजिटलीकरण बढ़ने से देश में बैंकिंग की लागत न्यूनतम पर आएगी।

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