प्रयागराज: VHP के धर्म संसद में RSS प्रमुख मोहन भागवत को झेलनी पड़ी शर्मिंदगी! संतों ने राम मंदिर पर ‘राजनीतिक भाषण’ का किया विरोध

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उत्तर प्रदेश के प्रयागराज (पहले इलाहाबाद) में चल रहे विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) की धर्म संसद के दूसरे दिन शुक्रवार का अंतिम सत्र हंगामे की भेंट चढ़ गया। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, इस दौरान राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत को अपमान और शर्मिंदगी का सामना करना पड़ा। संतों ने राम मंदिर पर उनके कथित ‘राजनीतिक भाषण’ का विरोध किया।

भागवत के धर्म संसद में भाषण दिए जाने के दौरान आखिरी में संतों ने हंगामा करना शुरू कर दिया। धर्म संसद में करीब दो दर्जन से ज्यादा संतों ने ‘तारीख बताओ, तारीख बताओ’ के नारे लगाना शुरू कर दिया। धर्म संसद से सामने आईं वीडियो में देखा जा सकता है कि संत हंगामा कर रहे हैं।

इंडिया टुडे में काम करने वाले पत्रकार आशुतोष ने लिखा है कि प्रयागराज में विश्व हिंदू परिषद की धर्म संसद में मोहन भागवत ने कहा, “राम मंदिर वोट पाने के लिए नहीं बल्कि आस्था को ध्यान में रखते हुए बनेगा। 3-4 महीने में निर्णय नहीं हुआ तो 4 महीने बाद बनना शुरू हो जाएगा। सरकार की मंशा साफ है।” जिसके बाद संतों ने नारे लगाने शुरू कर दिए। लोगों ने लगाए नारे- ‘तारीख बताइए भागवत जी’

वहीं, टाइम्स नाउ के लिए धर्म संसद को कवर कर रहे पत्रकार प्रशांत कुमार ने लिखा कि आरएसएस प्रमुख भागवत को विहिप के धर्मसंसद के मंच पर शर्मिंदगी का सामना करना पड़ा। संतों का उनका विरोध किया। भागवत द्वारा एक राजनीतिक भाषण देने के दौरान उनसे मंदिर निर्माण की तारीख के पूछा गया। वहीं, आशुतोष के मुताबिक, विश्व हिंदू परिषद की धर्म संसद में राम मंदिर निर्माण पर RSS प्रमुख मोहन भागवत के नरम रुख से नाराज़ साधु संतों ने भाषण के दौरान हंगामा किया। भागवत ने कहा कि सरकार की मंशा साफ है। जिस पर संतों ने कहा कि मंदिर निर्माण की तारीख बताइए भागवत जी।

एनडीटीवी के मुताबिक, हंगामा बढ़ता देख भागवत ने कहा कि आवेश और आक्रोश बनाए रखना है, लोगों को आरएसएस और संतों पर भरोसा है। उन्होंने कहा, ‘इलाहाबाद हाईकोर्ट ने भी माना है कि नीचे मंदिर है। अब वहां जो भी बनेगा राम मंदिर ही बनेगा। हमने मोदी सरकार से कहा था कि हम आपको तीन साल नहीं छेड़ेंगे। हमने उग्र भाषा में सरकार से कहा कि राम मंदिर बनना चाहिए। वहीं, सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राम मंदिर हमारी प्राथमिकता नहीं है।’

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