चुनाव आयोग के अधिकारी अब विधानसभा चुनाव के लिए पार्टियों द्वारा जारी किए गए घोषणापत्रों का निरीक्षण करेंगे। 2017 में यूपी, पंजाब, उत्तराखंड सहित कई राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं।
अपने घोषणा पत्रों में सभी राजनीतिक पार्टियां जुमलेबाज़ी करती है और जिसे बाद में ये कहकर नकार दिया जाता है कि वो तो चुनाव के लिये जुमला था। लेकिन अब इन वादों पर चुनाव आयोग की टेढ़ी नजर बना ली है।
जनता से बड़ी-बड़ी घोषणाएं करने वाली पार्टियों के खिलाफ चुनाव आयोग सख्त कार्रवाई कर सकता है। इसके लिए चुनाव आयोग ने यहां तक कह दिया है कि वह पार्टियों को दिया गया चुनाव चिन्ह भी छिन सकता है। ज्ञात हो कि पंजाब में 2012 के चुनावों में शिरोमणि अकाली दल ने 12वीं कक्षा के स्टूडेंट्स को लेपटॉप देने का वादा किया था, लेकिन बाद में 1.25 लाख करोड़ का कर्ज होने के कारण पार्टी इससे मुकर गई थी।
इस फैसले को चुनाव आयोग की 23 सितंबर को हुई एक मीटिंग में लिया गया था। फैसले में कहा गया कि जनता का विश्वास चुनावी वादों पर होता है, इन्हीं वादों को देखकर वोट भी दिए जाते हैं।
इसलिए इन वादों का पूरा किया जाना जरूरी है। अंग्रेजी अखबार “टाइम्स ऑफ इंडिया” के मुताबिक चुनाव आयोग के अधिकारी विधानसभा चुनाव के लिए पार्टियों द्वारा जारी किए गए घोषणापत्रों का निरीक्षण करेंगे। निर्वाचन आयोग का कहना है कि राजनीतिक पार्टियों द्वारा बिना स्टाम्प पेपर पर हलफनामा दिए बड़े-बड़े वादे किए गए तो उनपर सख्त कार्रवाई की जाएगी।