इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (ईवीएम) में कथित छेड़छाड़ को लेकर जारी घमासान के बीच कांग्रेस ने चुनाव आयोग द्वारा अपने आयुक्त अशोक लवासा की असहमति को रिकॉर्ड करने से मना किए जाने से जुड़ी खबर को लेकर सवाल किया कि जब यह संवैधानिक संस्था अपने कामकाज में निष्पक्ष नहीं हो सकती तो भला निष्पक्ष चुनाव कैसे कराएगी।
File Photo: The Indian Expressपार्टी के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने ट्वीट कर कहा, “यह संवैधानिक उपहास का विषय है। चुनाव आयोग अपने संवैधानिक कर्तव्यों का निर्वहन करने में ‘काले राज’ की नई परिपाटी शुरू करना चाहता है।” उन्होंने पूछा, “अगर चुनाव आयोग अपने कामकाज में निष्पक्ष नहीं हो सकता तो वह कैसे स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कैसे सुनिश्चित करेगा?
खबरों के मुताबिक, चुनाव आयोग ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष अमित शाह को आचार संहिता के उल्लंघन के आरोप में क्लीन चिट दिए जाने के फैसले पर लवासा की असहमति रिकॉर्ड करने के आग्रह को अस्वीकार कर दिया है। आयोग ने 2:1 के बहुमत से यह निर्णय लिया।
बता दें कि लोकसभा चुनावों की मतगणना से महज दो दिन पहले इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (ईवीएम) में कथित छेड़छाड़ की खबरें सामने आने के बाद मंगलवार को राजनीतिक विवाद पैदा हो गया। विपक्ष ने चुनाव आयोग से अपील की है कि वह मतगणना में पूरी पारदर्शिता बरते। इस पूरे मामले में पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने भी दखल दिया और कहा कि इन वोटिंग मशीनों को लेकर चल रही तमाम अटकलों पर विराम लगाने की जिम्मेदारी चुनाव आयोग की है।
उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्सों में इस मुद्दे पर हुए विरोध प्रदर्शन के बाद विपक्ष को ईवीएम में पड़े वोटों का मिलान वीवीपीएटी की पर्चियों से करने के आंकड़े को बढ़ाने के लिए आयोग पर दबाव बनाने का एक और मौका मिल गया। विपक्ष ईवीएम की विश्वसनीयता को लेकर पहले भी चुनाव आयोग से भिड़ता रहा है। ईवीएम को कथित तौर पर इधर-उधर ले जाने और इन मशीनों से छेड़छाड़ के वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद विरोध प्रदर्शन होने लगे।