अगले महीने 8 नवंबर को नोटबंदी के एक साल पूरे हो जाएंगे। लेकिन हैरानी की बात यह है कि नोटबंदी के 11 महीने बाद भी बैंक कर्मचारियों को उनके ओवरटाइम का पैसा नहीं मिला है। पैसा नहीं मिलने से नाराज बैंककर्मियों ने हड़ताल पर जाने की धमकी दी है, साथ ही उन्होंने सरकार को धमकी देते हुए कहा कि अगर उनकी बात नहीं सुनी जाती है तो वे अपने पैसे के लिए कोर्ट का भी रुख कर सकते हैं।
File Photo: PTIबता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आठ नवंबर 2016 की रात अपने टेलीविजन संदेश में घोषणा की थी कि 500 और 1,000 रुपये के नोट अब वैध नहीं रहेंगे। नोटबंदी के फैसले के बाद देश भर में अफरातफरी जैसा माहौल बन गया था। सभी बैंकों के बाहर लंबी-लंबी लाइनें लगी थी। हर कोई अपने पुराने नोट नई करेंसी से बदल रहा था।
इस स्थिति से निपटने के लिए बैंकों के कर्मचारियों को अपने तय समय से ज्यादा काम करना पड़ा। साथ ही उनकी सभी छुट्टियां भी रद्द कर दी गई थीं। ऐसी स्थिति करीब तीन से चार महीने तक रही थी। लेकिन इस दौरान ओवरटाइम काम करने वाले बैंक कर्मचारियों को अभी तक उनका पैसा नहीं मिला है। जबकि अगले महीने 8 नवंबर को नोटबंदी के एक साल पूरे हो जाएंगे।
अंग्रेजी अखबार हिंदुस्तान टाइम्स से बातचीत में ऑल इंडिया बैंक कर्मचारी संगठन के महासचिव सीएच वेंकटचलम ने कहा कि हमने सरकार को इस मामले से अवगत करा दिया है। अगर बैंकों ने ओवरटाइम का पैसा देने की बात नहीं मानी तो फिर हम हड़ताल के साथ-साथ कानूनी कार्रवाई भी करेंगे। उनका कहना है यह कर्मचारियों का यह हक है जो उन्हें मिलना चाहिए।
बैंक यूनियनों का कहना है कि किसी भी बैंक ने अपने कर्मचारियों के ओवरटाइम को पूरी तरह से नहीं दिया है। उन्होंने कहा कि इस मामले को वित्त मंत्री अरुण जेटली के समक्ष भी उठाया था और श्रम मंत्रालय के साथ अगली बैठक में इस पर बात की जाएगी। उनका कहना है कि यह बात किसी को समझ में नहीं आ रहा है कि आखिर बैंक कर्मचारियों का बकाया अब तक क्यों नहीं दिया गया है।