दिल्ली हिंसा: हाई कोर्ट ने अस्पतालों को 11 मार्च तक किसी भी अज्ञात शव का अंतिम संस्कार नहीं करने का निर्देश दिया

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हाई कोर्ट ने उत्तर पूर्वी दिल्ली में साम्प्रदायिक हिंसा में मारे गए लोगों के शवों के पोस्टमॉर्टम की वीडियोग्राफी करने के निर्देश सभी अस्पतालों को शुक्रवार को दिए। हाई कोर्ट ने अस्पतालों को 11 मार्च तक किसी भी अज्ञात शव का अंतिम संस्कार नहीं करने का निर्देश दिया।

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न्यायमूर्ति सिद्धार्थ मृदुल और न्यायमूर्ति आईएस मेहता की पीठ ने अधिकारियों को सभी शवों के डीएनए नमूने सुरक्षित रखने और किसी भी अज्ञात शव का बुधवार (11 मार्च) तक अंतिम संस्कार नहीं करने का निर्देश दिया। मामले की अगली सुनवाई बुधवार को होनी है। अदालत ने यह निर्देश एक व्यक्ति की ओर से दायर बन्दी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर सुनवाई के दौरान दिए।

व्यक्ति का रिश्तेदार दंगों के बाद से लापता है और याचिकाकर्ता ने उसका पता ठिकाना मालूम करने के लिए अदालत में याचिका दाखिल की है। सुनवाई के दौरान पुलिस ने अदालत को बताया कि लापता व्यक्ति हमजा का शव गोकुलपुरी में एक नाले से सोमवार को बरामद किया गया था और उसका पोस्टमॉर्टम दिन में आरएमएल अस्पताल में किया जाएगा।

बता दें कि, संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) और राष्ट्रीय नागरिक पंजीकरण (एनआरसी) को लेकर उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुई हिंसा ने कई लोगों की जान ले ली। कई लोग बुरी तरह से घालय हो गए, जिसका अभी भी अस्पतालों में इलाज चल रहा है। फिलहाल, स्थिति तो सामान्य हो रही है लेकिन हिंसा के दौरान हुई भयावहता सामने आ रही है। हिंसा के दौरान उपद्रवियों ने सैकड़ों घरों और दुकानों को आग के हवाले कर दिया था।

भड़की हिंसा में मरने वालों की संख्या बढ़कर 53 हो गई है। कई इलाकों में भड़की हिंसा में 56 पुलिसकर्मियों समेत करीब 200 से अधिक लोग घायल बताए जा रहे हैं। इस हिंसा में हेड कांस्टेबल रतनलाल और इंटेलिजेंस ब्यूरो के अफसर अंकित शर्मा की भी मौत हो गई। (इंपुट: भाषा के साथ)

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