दिल्ली हाई कोर्ट की एक न्यायाधीश ने व्हाट्सऐप की निजता संबंधी नई नीति को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई से शुक्रवार को खुद को अलग कर लिया।
समाचार एजेंसी पीटीआई (भाषा) की रिपोर्ट के मुताबिक, न्यायमूर्ति प्रतिभा एम. सिंह ने फेसबुक या व्हाट्सऐप की तरफ से भेजे गए एक ई-मेल पर नाखुशी जताई जिसमें कहा गया था कि उन्हें मामले की सुनवाई नहीं करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि इस तरह के ई-मेल की जरूरत नहीं थी क्योंकि वह मामले में सुनवाई नहीं करने जा रही हैं। फेसबुक तथा व्हाट्सऐप की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल तथा मुकुल रोहतगी ने कहा कि ई-मेल को बिना शर्त वापस लिया जा रहा है।
बहरहाल न्यायमूर्ति सिंह ने कहा कि वह मामले पर सुनवाई नहीं कर सकती हैं और हाई कोर्ट की रजिस्ट्री को निर्देश दिया कि इसे मुख्य न्यायाधीश के आदेश से 18 जनवरी को उपयुक्त पीठ के समक्ष सूचीबद्ध करें। उन्होंने कहा कि मामला जनहित याचिका की प्रकृति का प्रतीत होता है।
गौरतलब है कि, एक वकील की तरफ से दायर याचिका में कहा गया कि निजता की नई नीति संविधान के तहत निजता के अधिकारों का हनन करती है। याचिका में दावा किया गया है कि व्हाट्सऐप की निजता संबंधी नई नीति उपयोगकर्ता की ऑनलाइन गतिविधियों पर पूरी पहुंच की अनुमति देता है और इसमें सरकार की कोई निगरानी नहीं है।
नई नीति के तहत उपयोगकर्ता या तो इसे स्वीकार करता है या ऐप से बाहर हो जाता है, लेकिन वे अपने डाटा को फेसबुक के स्वामित्व वाले दूसरे मंच या किसी अन्य ऐप के साथ साझा नहीं करने का विकल्प नहीं चुन सकते हैं।