हाई कोर्ट ने उत्तर-पूर्व दिल्ली दंगे से जुड़े एक मामले में दो आरोपियों को दी जमानत

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दिल्ली हाई कोर्ट ने पिछले साल उत्तर-पूर्व दिल्ली में दंगे के दौरान गोलियां चलाने के दो आरोपियों को जमानत दे दी और कहा कि जिसे चोट लगी है, वह गोली नहीं, बल्कि पत्थर की वजह से लगी है। हाई कोर्ट ने कहा कि उसे दोनों आरोपियों को 50-50 हजार रूपये के निजी बांड और उतनी ही राशि के मुचलका बांड भरने पर नियमित जमानत देना सही लगता है।

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समाचार एजेंसी पीटीआई (भाषा) की रिपोर्ट के मुताबिक, न्यायमूर्ति मुक्ता गुप्ता ने कहा, ‘‘पेश की गई सामग्री तथा इस तथ्य पर आजम को चोट गोली से नहीं, बल्कि पत्थर की वजह से लगी है, पर विचार करने पर इस अदालत को याचिकाकर्ताओं को नियमित जमानत सही लगती है।’’

उच्च न्यायालय ने दोनों ही आरोपियों को संबंधित अदालत की अनुमति के बगैर देश से बाहर नहीं जाने तथा पता एवं मोबाइल फोन नंबर बदलने पर इसकी सूचना अदालत को देने का निर्देश दिया।

अभियोजन पक्ष के अनुसार शिवा और नितिन पर दंगा करने का आरोप है और दोनों घातक हथियारों से लैस थे एवं उन्होंने भादंसं एवं हथियार कानून के तहत हत्या करने की कोशिश की।

आरोपियों के वकील प्रीतीश सभरवाल ने कहा कि घटना स्थल ब्रह्मपुरी में दोनों पक्षों के बीच पथराव एवं गोलीबारी चल रही थी तथा सीसीटीवी फुटेज में तो नितिन की पहचान भी नहीं की जा सकी है। सभरवाल ने कहा कि जहां तक शिवा का सवाल है तो उसके हाथ में पिस्तौल तो थी, लेकिन वह हवा में गोलियां चला रहा था एवं शिकायतकर्ता या किसी अन्य को गोली का जख्म नहीं लगा।

घायल आजम की शिकायत पर प्राथमिकी दर्ज की गयी। उसने आरोप लगाया कि पिछले साल 25 फरवरी को वह घर पर था और उसने बाहर शोर-शराबा सुना और देखा कि करीब 20-25 लोगों की भीड़ ‘जय श्री राम’ का नारा लगाते हुए मतीन मस्जिद की ओर बढ़ रही है।

उसने आरोप लगाया कि ये लोग संपत्तियों को नुकसान पहुंचा रहे थे, पत्थर फेंक रहे थे और गोलियां भी चला रहे थे और इसी बीच एक पत्थर उसके सिर में लगा। दंगे के कारण वह घर से बार नहीं निकला, लेकिन जब उसका दर्द बढ़ गया तो उसे राममनोहर लोहिया अस्पताल ले जाया गया जहां आपरेशन किया गया।

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