कोर्ट तय करे उपराज्यपाल के अधिकार क्या होने चाहिए: दिल्ली सरकार

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दिल्ली सरकार और उपराज्यपाल के बीच मतभेद सारे के सामने है। किसी भी मुद्दे पर दोनों की एक राय नहीं होती है। आम आदमी पार्टी की दिल्ली सरकार चाहती है कि उसके अधिकार क्षेत्र को बढ़ाया जाए या फिर एलजी की अधिकार सीमा तय हो जबकि एलजी दिल्ली सरकार के हर फैसले पर खींचतान शुरू कर देते हैं। ये विवाद अब दिल्ली के लोगों के लिये आम बात हो चली है। दिल्ली सरकार और उपराज्यपाल के बीच पिछले काफी समय से चली आ रही अधिकारों की जंग में एक नया मोड़ आ गया है।

दिल्ली सरकार को फिलहाल इस मामले में सुप्रीम कोर्ट से कोई राहत नहीं मिली है। एनडीटीवी की खबर के अनुसार हाई कोर्ट ने 5 अप्रैल के आदेश में दिल्ली सरकार की उस अर्जी पर प्रारंभिक सुनवाई करने से भी इनकार कर दिया था, जिसमें दिल्ली सरकार और उपराज्यपाल के अधिकारों का मामला हाई कोर्ट की बड़ी पीठ को भेजे जाने का आग्रह किया गया था। दिल्ली सरकार चाहती थी कि हाई कोर्ट में एक बड़ी बेंच बनाकर पहले इसपर सुनवाई हो कि दिल्ली सरकार और उपराज्यपाल के अधिकार क्या हैं। क्या उपराज्यपाल को उसी तरह मंत्रिमंडल के सुझावों पर ही निर्णय लेने को बाध्य होना चाहिए या नहीं जिस तरह संसदीय परंपरा में दूसरी सरकारों में होता है।

अब चुकिं सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार की अर्जी पर सुनवाई से इनकार कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि, ये मामला पहले से ही दिल्ली हाईकोर्ट में चल रहा है, ऐसे में सुप्रीम कोर्ट हाईकोर्ट को क्या आदेश दे सकता है। कोर्ट ने कहा कि हम इसे खारिज कर रहे हैं। इस पर दिल्ली सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से अर्जी वापस ले ली। इतना होने पर जरूरी नहीं है कि दिल्ली सरकार और एलजी के बीच होने वाले मदभेदों में विराम लग पाए। ज्ञात हो कि अधिकारों को लेकर करीब आठ मामलों पर दिल्ली हाईकोर्ट में सुनवाई चल रही है।

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