“यह हत्यारों का मुखपत्र है, 1947 के बाद पहली बार कोई अखबार इतना गिरा”: लखीमपुर हिंसा की रिपोर्टिंग को लेकर यूजर्स के निशाने पर आया ‘दैनिक जागरण’; ट्विटर पर ट्रेंड हुआ #दैनिक_जागरण_दलाल_है और #इतनी_बेशर्मी_लाते_कहां_से_हो

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हिंदी के राष्ट्रीय समाचार पत्र ‘दैनिक जागरण’ के सोमवार में छपे उस लेख का सोशल मीडिया पर जमकर विरोध किया जा रहा है, जहां लखीमपुर खीरी में रविवार को हुई हिंसा में चार किसानों समेत 9 लोगों की मौत हो गई थी। लखीमपुर हिंसा की रिपोर्टिंग को लेकर यूजर्स के निशाने पर आया ‘दैनिक जागरण’ अख़बार की प्रतियां जलाकर लोग उसका वीडियो भी सोशल मीडिया पर शेयर कर रहे हैं। वहीं, ट्विटर पर सोमवार सुबह से ही #दैनिक_जागरण_दलाल_है और #इतनी_बेशर्मी_लाते_कहां_से_हो ट्रेंड कर रहा है।

दैनिक जागरण

लखीमपुर खीरी में रविवार को हुई हिंसा को लेकर दैनक जागरण ने अपने अखबार में एक लेख लिखा, जिसका हेड़लाइन था- “उत्तर प्रदेश में अराजक किसानों का उपद्रव, 6 की गई जान”। दैनक जागरण के इस हेड़लाइन का देख सोशल मीडिया यूजर्स भड़क गए और उन्होंने अख़बार का बहिष्कार करना शुरु कर दिया।

सोशल मीडिया लोग आरोप लगा रहे है कि, दैनिक जागरण अखबार किसान के विरोध में ख़बर चला रहा है और इस न्यूज पेपर ने तो सत्ता की चाटुकारिता की हद पार कर दी। लोग दैनिक जागरण के कार्यक्रमों में जाने वालों का बहिष्कार करने की मांग कर रहे हैं।

पत्रकार श्याम मीरा सिंह ने अपने ट्वीट में लिखा, “अगले कुछ घंटों में देश के हर हिस्से में दैनिक जागरण अख़बार की प्रतियाँ जलनी चाहिए. मैं इस अख़बार पर थूकता भी नहीं, लेकिन अभी बाज़ार जाकर खरिदूँगा और इसे जलाकर बताएँगे कि #दैनिक_जागरण_दलाल_है । सब #lakhimpurkheri नहीं जा सकते, मगर किसानों के समर्थन में ये काम तो कर सकते हैं।”

पत्रकार नवीन कुमार ने लिखा, “आज से दैनिक जागरण मे छपने वाले हर लेखक कवि का बहिष्कार कीजिए।उसके कार्यक्रमों में जाने वालों का बहिष्कार कीजिए। वो उन हत्यारो की टोली में शामिल हैं जिन्होने किसानों को रौंदा है।जो दैनिक जागरण के लंपटपन का विरोध नहीं करते वो हिंदी समाज के लिए शर्म हैं।रंगा सियार लेखको को पहचानिए।”

अशोक कुमार पांडेय ने अपने ट्वीट में लिखा, “यह हत्यारों का मुखपत्र है। हमारे साहित्यकार इसके आयोजनों में हिंदी का भला करने जाते हैं। मैं अपनी पूरी ताक़त से थूकता हूँ इस पर। आऽऽऽक थू।”

करण थापर देशी नाम के एक यूजर ने लिखा, “1947 के बाद पहली बार कोई अखबार इतना गिरा है।” बता दें कि, इसी तरह तमाम यूजर्स दैनिक जागरण का विरोध करते हुए जमकर अपनी प्रतिक्रियाएँ दे रहे हैं।

देखें कुछ ऐसे ही ट्वीट:

 

गौरतलब है कि, लखीमपुर खीरी के सांसद और केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय कुमार मिश्र टेनी के विरोध में रविवार को वहां के आंदोलित किसानों ने उनके पैतृक गांव बनबीरपुर में आयोजित एक समारोह में उप मुख्‍यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के जाने का विरोध किया और इसके बाद भड़की हिंसा में चार किसानों समेत नौ लोगों की मौत हो गई।

किसानों का आरोप है कि केंद्रीय गृह राज्य मंत्री मिश्रा का बेटा जिस एसयूवी में सवार था, उसी ने किसानों को कुचल दिया। हालांकि, मिश्रा ने आरोप को खारिज किया है। इस हिंसक झड़प के बाद लगातार माहौल गमार्या हुआ है।

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