टाटा ग्रुप के चेयरमैन पद से हटाए गए सायरस मिस्त्री इस फैसले के खिलाफ कोर्ट जाएंगे। मिस्त्री बॉम्बे हाई कोर्ट में टाटा सन्स लिमिटेड के इस फैसले को चुनौती देंगे। उधर, टाटा ग्रुप ने भी इस मामले के कोर्ट में जाने को लेकर अपनी तैयारियां शुरू कर दी हैं। ग्रुप ने कई सीनियर वकीलों से बातचीत की है।
Cyrus Mistry to move Bombay High Court questioning Tata Sons Ltd's decision to remove him from Chairman post.
— Dhananjay Mahapatra (@toi_dhanajayM) October 24, 2016
मिस्त्री को वर्ष 2011 में कंपनी में चेयरमैन रतन टाटा का उत्तराधिकारी चुना गया था और उन्हें पहले डिप्टी चेयरमैन बनाया गया। टाटा संस के चेयरमैन पर दर मिस्त्री का चुनाव पांच सदस्यीय एक समिति ने किया था।
टाटा ग्रुप ने सीनियर ऐडवोकेट्स हरीश एन. साल्वे और अभिषेक मनु सिंघवी को हायर किया है। सूत्रों ने बताया कि ग्रुप ने साल्वे और सिंघवी से इस मामले पर विचार-विमर्श किया है।
मामले की जानकारी रखने वालों ने बताया कि मिस्त्री को पद से हटाने से पहले ही टाटा ग्रुप ने कानूनी जगत के टॉप लोगों से सलाह-मशविरा किया। ग्रुप ने सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज आर. वी. रवींद्रन के अलावा सीनियर ऐडवोकेट्स पी. चिदंबरम और मोहन परासरन से सलाह ली। सूत्रों ने कहा कि ऐसे जटिल मसलों में किसी कानूनी पचड़े से बचने के लिए बड़ी कंपनियां लीगल अडवाइस लेती हैं।
मिस्त्री को हटाने के पीछे माना जा रहा है कि घाटे में चल रही कंपनियों को छांटने और केवल लाभ देने वाले उपक्रमों पर ही ध्यान देने के उनके दृष्टिकोण से कंपनी में अप्रसन्नता थी। इनमें यूरोप में घटे में चल रहे इस्पात करोबार की बिक्री का मामला भी शामिल है। इसके अलावा कंपनी के दूरंसचार क्षेत्र के संयुक्त उद्यम टाटा डोकोमो में जापानी कंपनी से अलग होने के मामले में भी डोकोमो के साथ कंपनी का एक कानूनी विवाद चल रहा है।