पहली बार कोर्ट ने रेलवे के भूमि अधिग्रहण के मामले में ऐसा फैसला सुनाया है, जिसे सुनकर आप भी हैरान हो जाएंगे।मामला लुधियाना की एक जिला कोर्ट का हैं, जहां मुआवजा नहीं देने पर अदालत ने अमृतसर से नयी दिल्ली के बीच चलने वाली स्वर्ण शताब्दी एक्सप्रेस ट्रेन को ही किसान संपूरण सिंह के नाम कर दिया।
file-photoमीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक यह मामला लुधियाना-चंडीगढ़ ट्रैक के लिए अधिगृहित की गई एक जमीन के मुआवजे से जुड़ा हुआ है। 2007 में किसान संपूरण सिंह की जमीन रेलवे ने अधिगृहित की थी। कोर्ट ने बाद में प्रति एकड़ मुआवजे की रकम 25 लाख से 50 लाख कर दी। इस हिसाब से संपूरण सिंह को कुल 1 करोड़ 5 लाख रुपये मिलने थे पर रेलवे ने केवल 42 लाख रुपये दिए।
2012 में संपूरण सिंह ने कोर्ट में केस किया। 2015 में फैसला उनके पक्ष में आया और रेलवे को ब्याज के साथ मुआवजे की रकम अदा करने का आदेश दिया गया। लंबे समय तक जब रेलवे ने मुआवजे की रकम नहीं अदा की तो कोर्ट ने संपूरण सिंह के पक्ष में डिक्री देते हुए स्टेशन और स्वर्ण शताब्दी एक्सप्रेस के कुर्की का आदेश दे दिया। इस कुर्की से किसान के मुआवजे की रकम अदा करने की बात कही गई।
मिली जानकारी के अनुसार, किसान संपूरण सिंह और उनके वकील कोर्ट के आदेश की प्रति लेकर बुधवार को स्टेशन पहुंच गए स्वर्ण शताब्दी एक्सप्रेस के ड्राईवर को कोर्ट के आदेश प्रति थमाई और नोटिस को चस्पा कर दिया। इसके बाद ट्रेन रवाना हो गई। किसान ने कहा कि यात्रियों की परेशानी को देखते हुए उन्होने ट्रेन को नहीं रोका। वहीं किसान के वकील राकेश गांधी का कहना है कि यदि मुआवज़े की रकम नहीं मिली तो रेलवे की कुर्की की गई संपत्ति को कोर्ट से नीलामी के आदेश देने की सिफारिश की जाएगी।