पूर्व वित्त मंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी. चिदंबरम ने मंगलवार को नोबेल पुरस्कार विजेता मदर टेरेसा के मिशनरीज ऑफ चैरिटी के एफसीआरए पंजीकरण को कुछ प्रतिकूल इनपुट पर रिन्यू करने से इनकार करने के लिए केंद्र सरकार को फटकार लगाई। उन्होंने कहा कि, यह मदर टेरेसा की स्मृति का सबसे बड़ा अपमान है।
कांग्रेस नेता पी चिदंबरम ने ट्वीट किया, “कोलकाता, पश्चिम बंगाल में मिशनरीज ऑफ चैरिटी के लिए भविष्य में विदेशी योगदान को नकारने से ज्यादा हैरान करने वाला कुछ नहीं हो सकता है। यह मदर टेरेसा की स्मृति का सबसे बड़ा अपमान है, जिन्होंने भारत के ‘गरीबों और दुखियारो’ की देखभाल के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया।”
उन्होंने आगे कहा, “गृह मंत्रालय का दावा है कि उसे “कुछ प्रतिकूल इनपुट” मिले हैं। गृह मंत्रालय को अपने शेरलॉक होम्स जैसे कौशल का इस्तेमाल सांप्रदायिक हिंसा और आतंकवादी गतिविधियों को दबाने के लिए करना चाहिए, न कि ईसाई दान और मानवीय कार्यों को दबाने के लिए।”
उन्होंने सरकार पर निशाना साधते हुए आगे कहा, “साल 2021 के खत्म होते ही यह साफ हो गया है कि मोदी सरकार ने अपने बहुसंख्यकवादी एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए एक और लक्ष्य ‘ईसाई’ बना लिया है।”
गृह मंत्रालय का दावा है कि उसे "कुछ प्रतिकूल इनपुट" मिले हैं। गृह मंत्रालय को अपने शेरलॉक होम्स जैसे कौशल का इस्तेमाल सांप्रदायिक हिंसा और आतंकवादी गतिविधियों को दबाने के लिए करना चाहिए, न कि ईसाई दान और मानवीय कार्यों को दबाने के लिए।
— P. Chidambaram (@PChidambaram_IN) December 28, 2021
इनकार को ‘चौंकाने वाला’ करार देते हुए पार्टी नेता आनंद शर्मा ने कहा, “मिशनरीज ऑफ चैरिटी के खातों को फ्रीज करने की सरकार की कार्रवाई से हैरान हूं। इस क्रूर, असंवेदनशील और अमानवीय निर्णय की निंदा करता हूं जो बीमार और पीड़ित गरीबों को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाएगा।”
गौरतलब है कि, केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने सोमवार को कहा कि विदेशी योगदान नियमन अधिनियम (FCRA) के तहत पंजीकरण के नवीनीकरण के लिए मिशनरीज ऑफ चैरिटी के आवेदन को ‘प्रतिकूल इनपुट’ का हवाला देते हुए खारिज कर दिया। सरकार ने यह निर्दिष्ट नहीं किया है कि वे ‘प्रतिकूल इनपुट’ क्या थे।
गौरतलब है कि, मिशनरीज ऑफ चैरिटी एक कैथोलिक धार्मिक संस्था, है जिसकी स्थापना मदर टेरेसा ने 1950 में की थी। (इंपुट: भाषा के साथ)
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