राजस्थान के दंतारामगढ़ विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस विधायक वीरेंद्र सिंह चौधरी ने तमिलनाडु में कुन्नूर के पास 8 दिसंबर को हेलीकॉप्टर दुर्घटना में शहीद हुए देश के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत और सशस्त्र बलों के अन्य जवानों की शहादत पर सवाल खड़ा कर दिया है। उन्होंने इसे चुनाव जीतने की राजनीतिक साजिश करार दिया। वहीं, भाजपा ने कांग्रेस विधायक के आरोपों पर पलटवार किया है।
सीकर जिले के धीरजपुरा गांव में शहीद मुकेश कुमार की प्रतिमा के अनावरण समारोह में विधायक वीरेंद्र सिंह ने बुधवार को कहा, देखा गया है कि पुलवामा हो, उरी हो या सीडीएस बिपिन रावत का हेलीकॉप्टर दुर्घटना, चुनाव के दौरान या उससे पहले ऐसी घटनाएं सामने आती हैं। उन्होंने कहा, केंद्र की सत्ता में आने के बाद भाजपा ने नोटबंदी की, लेकिन यह योजना काले धन पर अंकुश लगाने में विफल रही। फिर पुलवामा हमला 2019 के आम चुनाव से ठीक पहले हुआ, जिसमें हमारे 44 सैनिक भाई शहीद हो गए।
वीरेंद्र सिंह चौधरी ने सवाल उठाया, बिहार चुनाव से पहले भी हमारे सेना के कई भाई एक हमले में शहीद हो गए थे। अब उत्तर प्रदेश में चुनाव से ठीक पहले वायुसेना का हेलीकॉप्टर दुर्घटनाग्रस्त हो जाता है। ऐसी शहादत की खबरें सिर्फ चुनाव के समय ही क्यों आती हैं? बता दें कि, वीरेंद्र सिंह कांग्रेस की राजस्थान इकाई के पूर्व अध्यक्ष नारायण सिंह चौधरी के पुत्र हैं।
चौधरी के इस बयान पर भाजपा ने कहा कि कांग्रेस विधायक को अगर कोई राजनीतिक साजिश लगती है तो उन्हें अपने आरोप के समर्थन में सबूत पेश करना चाहिए या शहीदों का अपमान करने के लिए उन्हें देश से माफी मांगनी चाहिए। चोमू से भाजपा विधायक और पार्टी प्रवक्ता रामलाल शर्मा ने गुरुवार को चौधरी के बयान की निंदा की और कहा कि इससे स्पष्ट है कि कांग्रेस अवसाद में है।
उन्होंने कहा, अगर पार्टी के पास कोई सबूत है, तो उसे सार्वजनिक डोमेन में रखना चाहिए या अगर उसके पास कोई मशीन है, जिसके माध्यम से वह वास्तविकता को सामने ला सकती है, तो उसे उस मशीन को लोगों के सामने लाना चाहिए। मुझे उम्मीद है कि पार्टी के शीर्ष नेता इस आरोप का खंडन करेंगे।
बता दें कि, जनरल बिपिन रावत, उनकी पत्नी मधुलिका रावत और सशस्त्र बलों के अन्य 11 जवानों की जान 8 दिसंबर को तमिलनाडु के कुन्नूर के पास हुई हेलीकॉप्टर दुर्घटना चली गई थी। वहीं, इस दुर्घटना में घायल हुए ग्रुप कैप्टन वरुण सिंह की भी बुधवार को मौत हो गई थी। सात दिनों तक संघर्ष करने के बाद बेंगलुरु के अस्पताल में इलाज के दौरान उन्होंने दम तोड़ दिया। (इंपुट: IANS के साथ)
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