सरकारी योजना के अंतर्गत बांटे जाने वाले दूध की वजह से छत्तीसगढ़ में हाल के दिनों में होने वाली बच्चों की मौत के बात अब सरकार ने जिला कलेक्टरों को चखकर दूध की गुणवत्ता देखने का आदेश दिया है।
आधिकारिक सूत्रों के हवाले से भाषा की खबर के अनुसार आंगनबाड़ी केन्द्रों में मुख्यमंत्री अमृत योजना के तहत बच्चों को मीठा दूध देने से पहले उनका विश्वास बढ़ाने के लिए आंगनबाड़ी कार्यकर्ता दूध की गुणवत्ता और स्वाद को खुद चखकर देखेंगी।
दूध की गुणवत्ता सही पाये जाने पर ही बच्चों को मीठा सुगंधित दूध पिलाया जाएगा। वहीं जिला कलेक्टर एवं अन्य अधिकारी भी आंगनबाड़ी केन्द्रों के माध्यम से वितरित मीठे सुगंधित दूध को स्वयं चखकर दूध की गुणवत्ता और स्वाद को परखेंगे।
अधिकारियों ने बताया कि इस संबंध में महिला एवं बाल विकास विभाग ने राज्य के सभी जिला कलेक्टरों, जिला कार्यक्रम अधिकारियों और जिला महिला एवं बाल विकास अधिकारियों को परिपत्र जारी कर दिया है।
महिला एवं बाल विकास विभाग के सचिव सोनमणि बोरा ने बताया कि मुख्यमंत्री अमृत योजना के तहत आंगनबाड़ी केन्द्रों के तीन से छह वर्ष के बच्चों को सप्ताह में एक दिन सोमवार को मीठे सुगंधित दूध (100 मिलीग्राम प्रति बच्चा) का वितरण आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के सामने किया जाएगा। दूध का पैकेट खुलने के बाद यदि दूध बचता है, तो बचे हुए दूध को तुरंत अन्य बच्चों को आवश्यकता अथवा क्षमता के अनुसार अनिवार्यत: वितरित कर दिया जाएगा।
बोरा ने बताया कि इस बात का विशेष ध्यान रखा जाएगा कि बच्चों को उनकी क्षमता और शारीरिक रूप से स्वस्थ होने पर ही अतिरिक्त दूध दिया जाएगा।
छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले में एक सप्ताह पहले मुख्यमंत्री अमृत योजना के तहत बांटे गए सुगंधित दूध पीने के बाद दो बच्चियों की मौत हो गई थी।