सुप्रीम कोर्ट के मुख्या न्यायाधीश का प्रधानमंत्री मोदी पर पलटवार, कहा जज छुट्टियां बिताने हिल स्टेशन नहीं जाते, वो काम करते हैं

1

पीएम नरेन्द्र मोदी को इस बार नसीहत करने वाला कोई मामूली शख्स नहीं बल्कि चीफ जस्टिस टीएस ठाकुर है।

जस्टिस ठाकुर ने सीधे-सीधे पीएम मोदी को घेरते हुए कहा कि जज गर्मियों की छुट्टियों का लुत्‍फ उठाने के लिए हिल स्‍टेशन नहीं जाते हैं, बल्कि वे अपना समय मुकदमों के फैसले लिखने में लगाते हैं, जिससे कि लंबित केसों की सुनवाई हो सके। जस्टिस टीएस ठाकुर ने यह बात मुख्यमंत्रियों व हाई कोर्टों के मुख्य न्यायाधीशों के संयुक्त सम्मेलन के उद्घाटन सत्र को संबोधित करने के बाद मीडिया से बात करते हुए कही।

पीएम नरेंद्र मोदी ने हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस और चीफ मिनिस्टर्स की मीटिंग के दौरान जजों की गर्मियों की छुट्टी को लेकर सवाल उठाया था। पीएम मोदी ने कहा था कि उन्‍होंने यह सवाल उस वक्त भी उठाया था जब वह गुजरात के सीएम थे।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से दिए गए जजों की लंबी छुट्टियों वाले बयान पर पलटवार करते हुए चीफ जस्टिस टीएस ठाकुर ने कहा कि जज गर्मियों की छुट्टियों का लुत्‍फ उठाने के लिए हिल स्टेशन नहीं जाते हैं, बल्कि वे अपना समय मुकदमों के फैसले लिखने में लगाते हैं, जिससे कि लंबित केसों की सुनवाई हो सके। चीफ जस्टिस जब मीडिया से बात कर रहे थे, तब उन्होंने कहा, ‘क्‍या आपको लगता है कि हम मनाली या किसी और हिल स्टेशन पर मजे उड़ाने जाते हैं। मैं आपको बता देता हूं कि जिन छुट्टियों की बात की जा रही है, वह सिर्फ तीन हफ्ते की होती हैं। जस्टिस जेएस शेखर ने एनजेएसी की सुनवाई ब्रेक के दौरान की थी और जजमेंट लिखने के लिए छुट्टी पर गए।’

सुप्रीम कोर्ट के प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति तीरथ सिंह ठाकुर रविवार को ने कहा था कि मुकदमों की भारी बाढ़ से निपटने के लिए न्यायाधीशों की संख्या को मौजूदा 21 हजार से 40 हजार किए जाने की दिशा में सरकार की निष्क्रियता पर अफसोस जताते हुए आगे उन्होंने कहा था- आप सारा बोझ न्यायपालिका पर नहीं डाल सकते।

बेहद भावुक नजर आ रहे न्यायमूर्ति ठाकुर ने नम आंखों से कहा कि 1987 में विधि आयोग ने न्यायाधीशों की संख्या प्रति 10 लाख लोगों पर 10 से बढ़ाकर 50 करने की सिफारिश की थी, लेकिन तब से लेकर अब तक इस पर कुछ नहीं हुआ।

खबर के अनुसार आगे उन्होंने कहा कि न्यायमूर्ति ठाकुर ने कहा कि इसके बाद सरकार की अकर्मण्यता नजर आती है, क्योंकि न्यायाधीशों की संख्या में बढ़ोतरी नहीं हुई। प्रधान न्यायाधीश जब ये बातें कह रहे थे, उस समय उन्हें अपने आंसू पोंछते देखा जा सकता था। उस समय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वहां मौजूद थे और पूरी गंभीरता से उनकी बातें सुन रहे थे। उन्होंने आगे कहा- और इसलिए यह मुकदमा लड़ रहे लोगों या जेलों में बंद लोगों के नाम पर नहीं है, बल्कि देश के विकास के लिए भी है। इसकी तरक्की के लिए मैं आपसे हाथ जोड़कर विनती करता हूं कि इस स्थिति को समझें और महसूस करें कि केवल आलोचना करना काफी नहीं है। आप सारा बोझ न्यायपालिका पर नहीं डाल सकते।

Previous articleAmidst Chinese protests, India withdraws visa to Chinese dissident leader
Next articleWe will take good decisions in this session: PM Modi