CBSE Compartment Exam: CBSE के 1152 छात्रों ने खटखटाया सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा; कक्षा 12वीं की कम्पार्टमेंट, रिपीटर्स और प्राइवेट परीक्षा को रद्द करने की लगाई गुहार; अधिक जानकारी के लिए cbse.gov.in को करें फॉलो

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CBSE Compartment Exam: देश भर के कक्षा 10वीं और 12वीं के 1152 छात्रों ने सीबीएसई की 12वीं के कम्पार्टमेंट / प्राइवेट / रिपीटर्स परीक्षा (Compartment/Private/Repeat examination) को रद्द करने के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। सीबीएसई की परीक्षा में शामिल होने वाले छात्र अधिक जानकारी के लिए आधिकारिक वेबसाइट cbse.gov.in को फॉलो कर सकते है।

लाइव लॉ की रिपोर्ट के मुताबिक, याचिकाकर्ताओं ने सीबीएसई बोर्ड को नियमित छात्रों के लिए सीबीएसई और अन्य शिक्षा बोर्डों द्वारा अपनाए गए मूल्यांकन फार्मूले के अनुरूप 12वीं कक्षा के निजी / कम्पार्टमेंट / रिपीटर्स छात्रों के प्रदर्शन मूल्यांकन के लिए एक फार्मूले पर पहुंचने और समयबद्ध तरीके से परिणाम जारी करने के लिए निर्देश देने की भी प्रार्थना की है। सुप्रीम कोर्ट ने 12वीं के बोर्ड पराक्षा के लिए सीबीएसई के जिस फार्मूले को हरी झंडी दी थी उसे कुछ छात्रों ने चुनौती दी है।

एडवोकेट मनु जेटली और एडवोकेट अभिषेक चौधरी के माध्यम से दायर याचिका में सीबीएसई बोर्ड को 10वीं कक्षा के निजी / कम्पार्टमेंट / रिपीटर्स के छात्रों के प्रदर्शन मूल्यांकन के लिए एक फार्मूले पर तेजी से पहुंचने और समयबद्ध तरीके से परिणाम जारी करने का निर्देश देने की भी मांग की गई है। सुप्रीम कोर्ट में 1152 छात्रों ने याचिका दायर कर इस स्कीम पर सवाल उठाते हुए कुछ सुझाव भी दिए हैं।

याचिकाकर्ताओं ने प्रस्तुत किया कि 12वीं सीबीएसई बोर्ड परीक्षा 2021 के सभी निजी / कंपार्टमेंट / रिपीटर्स उम्मीदवारों, उनके माता-पिता और परिवार के सदस्यों, शिक्षण संकाय और सभी हितधारकों की सुरक्षा, स्वास्थ्य और भलाई को ध्यान में रखते हुए, सीबीएसई द्वारा जारी अधिसूचना को रद्द कर दिया गया है। देश में मौजूदा कोविड -19 महामारी की स्थिति के कारण 12वीं कक्षा की बोर्ड परीक्षाओं की व्यापक व्याख्या की जानी चाहिए ताकि छात्रों की सभी श्रेणियों को शामिल किया जा सके।

सुप्रीम कोर्ट ने तीन जून को सीबीएसई को 12वीं की परीक्षा की बाबत योजना बनाकर कोर्ट में पेश करने को कहा था। बोर्ड ने 17 जून को अपना फार्मूला कोर्ट को दिया जो कोर्ट ने मंजूर करते हुए रिकॉर्ड पर लिया लेकिन याचिकाकर्ता छात्रों का कहना है कि इन वर्गों के छात्रों और परीक्षार्थियों को लेकर नई स्कीम उदासीन है। ये संविधान में दिए गए बुनियादी अधिकारों में समानता के अधिकारों के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन है।

फरवरी में बोर्ड के सर्कुलर के मुताबिक कंपार्टमेंट, रिपिटिव, प्राइवेट, कॉरेस्पोंडेंस कोर्स आदि के परीक्षार्थियों के लिए प्रैक्टिकल, प्रोजेक्ट, इंटरनल असेसमेंट आदि अलग से आयोजित करने के बजाय रेगुलर छात्रों के साथ ही कराए जाएंगे। याचिकाकर्ताओं ने मांग की है कि इन वर्गों के छात्रों की आपत्तियां भी कोर्ट मंगाए और उनको भी व्यवहारिक राहत दे।

गौरतलब है कि, कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए इस वर्ष 10वीं की बोर्ड परीक्षाएं रद्द की जा चुकी हैं। वहीं 12वीं की बोर्ड परीक्षाएं स्थगित कर दी गई हैं। केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय द्वारा यह फैसला छात्रों एवं शिक्षकों को कोरोना संक्रमण से बचाने के लिए लिया गया है। इससे पहले सीबीएसई ने दसवीं बोर्ड के रिजल्ट के लिए अपने सभी स्कूलों को एक फार्मेट भेजा था। इस फार्मेट में स्कूल में हुए सालभर के प्रोजेक्ट वर्क, असाइनमेंट आदि की जानकारी मांगी गयी थी। इसके आधार पर ही अब फाइनल रिजल्ट तैयारी किया जाएगा।

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