बसपा सांसदों ने संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) को विभाजनकारी बताते हुए बुधवार को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से इसे वापस लेने तथा इसका विरोध करने वालों के खिलाफ़ कथित पुलिस कार्रवाई की न्यायिक जाँच कराने की माँग की है।
राज्यसभा में बसपा संसदीय दल के नेता सतीश मिश्रा की अगुवाई में पार्टी सांसदों के प्रतिनिधिमंडल ने आज राष्ट्रपति से मुलाकात कर उन्हें ज्ञापन सौंपा। लोकसभा और राज्यसभा में बसपा के सभी 13 सांसदों के हस्ताक्षर वाले ज्ञापन में कहा गया है कि पार्टी अध्यक्ष मायावती पहले ही संशोधित नागरिकता कानून को विभाजनकारी बताते हुए इसे वापस लेने की मांग कर चुकी हैं।
पार्टी ने राष्ट्रपति से दिल्ली के जामिया मिल्लिया इस्लामिया विश्वविद्यालय, उत्तर प्रदेश में अलीगढ मुस्लिम विविद्यालय और लखनऊ के नदवा कॉलेज सहित देश के अन्य इलाकों में इस कानून के विरोध में किए गए आंदोलन के दौरान पुलिस की कथित कार्रवाई की उच्च स्तरीय न्यायिक जाँच की मांग भी की।
पार्टी सांसदों ने 15 दिसंबर को जामिया मिल्लिया इस्लामिया विवि में दिल्ली पुलिस द्वारा बिना इजाज़त के प्रवेश कर पुस्तकालय में पढ रहे छात्रों पर कथित लाठीचार्ज को गैरकानूनी बताते हुए इसके खिलाफ़ उचित कार्रवाई करने की भी राष्ट्रपति से मांग की है।
प्रतिनिधिमंडल में लोकसभा में बसपा संसदीय दल के नेता दानिश अली और निचले सदन में पार्टी के अन्य सदस्य और मिश्रा सहित चारों राज्यसभा सदस्य भी शामिल थे। राष्ट्रपति से मुलाकात के बाद बीएसपी सांसद सतीश चंद्र मिश्रा ने कहा, “हमने राष्ट्रपति से कहा कि नागरिकता संशोधन अधिनियम गलत है और अनुच्छेद 14 और 21 का उल्लंघन है। हमने उनसे इसे रद्द करने के लिए कदम उठाने का अनुरोध किया है।” (इंपुट: भाषा के साथ)
Satish Chandra Mishra, BSP MP after his party's delegation met President Ram Nath Kovind: We also requested to constitute a judicial inquiry to look into the atrocities of police against innocent students across the country. https://t.co/NpGIGFo4f1
— ANI (@ANI) December 18, 2019