भारतीय सेना के सेवानिवृत्त कैप्टन और कारगिल युद्ध के नायक मोहम्मद सनाउल्लाह के बाद असम के विदेशी प्राधिकरण ने हाल ही में भारतीय सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) में सेवारत अधिकारी और उनकी पत्नी को अवैध विदेशी घोषित कर दिया है। बीएसएफ में असिस्टेंट सब इंस्पेक्टर (एएसआई) के पद पर कार्यरत मुजीबुर रहमान और उनकी पत्नी को जोरहाट के विदेशी प्राधिकरण ने विदेशी घोषित किया है। एएसआई मुजीबुर रहमान अभी पंजाब में नियुक्त हैं।

समाचार एजेंसी आईएएनएस की रिपोर्ट के मुताबिक, सीमा सुरक्षा बल के एक सहायक उपनिरीक्षक (एएसआई) के परिजन ने दावा किया है कि असम निवासी एएसआई और उनकी पत्नी को बिना उनकी जानकारी के एक अधिकरण ने विदेशी घोषित कर दिया है। परिवार ने दावा किया कि एएसआई मुजीबुर रहमान और उनकी पत्नी को जोरहाट विदेशी अधिकरण ने पिछले साल दिसंबर में ही विदेशी घोषित कर दिया था, लेकिन उन लोगों को पिछले महीने इसकी जानकारी दी गई। रहमान ने कहा, “मेरी और मेरी पत्नी की भारतीय नागरिकता संदेह से परे है। हम वास्तविक भारतीय नागरिक हैं। हमें विदेशी घोषित करना केवल यही साबित करता है कि सीमा पुलिस ने अपने कतर्व्य का ठीक से निवर्हन नहीं किया।”
उन्होंने बताया कि वे इस मामले में पहले ही गुवाहाटी हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटा चुके हैं। उन्होंने कहा, “ना तो मैं और ना ही मेरी पत्नी डरे हुए हैं। हमारे पास हमारे पुरखों के 1930 के जमीन के कागजात हैं। सीमा पुलिस के एक अधिकारी ने शराबी की बात को सच मानकर हमारे खिलाफ विदेशी प्राधिकरण में रिपोर्ट दाखिल कर दी।” बीएसएफ अधिकारी ने हालांकि उस सीमा पुलिस के अधिकारी का नाम लेने से मना कर दिया, जिसने उनके और उनकी पत्नी के खिलाफ गलत रिपोर्ट दाखिल की। उन्होंने केवल यह कहा कि इस मामले पर वह केस खत्म हो जाने के बाद बात करेंगे।
समाचार एजेंसी भाषा की रिपोर्ट के मुताबिक, रहमान के पिता बापधान अली ने बताया कि उन दोनों (एएसआई और पत्नी) को छोड़कर उनके परिवार के हर व्यक्ति का नाम राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) में दर्ज किया गया है। एनआरसी का अंतिम प्रकाशन 31 अगस्त को होना है। अली ने एक समाचार चैनल को बताया, ‘मैं सरकार से आग्रह करता हूं कि वह इस संबंध में कदम उठाए ताकि वह भारतीय बना रहे।’ उन्होंने दावा किया कि उनके परिवार के सदस्यों की वंशावली और जमीन के दस्तावेज मौजूद हैं जिससे उनकी भारतीय नागरिकता साबित होती है।
बता दें कि, विदेशी अधिकरण इससे पहले करगिल युद्ध में भाग ले चुके मोहम्मद सनाउल्लाह और केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल के जवान मामुद अली को भी विदेशी घोषित कर चुका है। विदेशी घोषित किए जाने के बाद सनाउल्लाह को बंदी शिविर में डाल दिया गया। हालांकि, बाद में गुवाहाटी हाईकोर्ट ने उन्हें जमानत दे दी। सनाउल्ला की घटना के तुरंत बाद, सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत ने कहा था कि किसी भी जवान को किसी प्रकार की कठिनाई नहीं होगी।