जिन कम्पनियों का नाम काली सूची में था क्या उन्होंने ही नई करेंसी के लिए पेपर सप्लाई किया था? ये आरोप आम आदमी पार्टी और मोदी सरकार के बीच एक नये विवाद को जन्म दे रही है। आम आदमी पार्टी की तरफ से इस पर प्रेस काॅफ्रेंस कर खुलासा किया गया जबकि मोदी सरकार की और से इस पर वित्त मंत्री अरूण जेटली ने इस आम आदमी पार्टी द्वारा झूठी अफवाह फैलाना बताया।
गुरुवार को वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आम आदमी पार्टी के आरोपो को खारिज कर दिया है। जिसमें मुख्यमंत्री केजरीवाल ने 500 रुपये और 2,000 रुपये के नोटों की छपाई के लिए ब्लैक लिस्ट कंपनी को कांट्रेक्ट देने का आरोप लगाया गया था।
जेटली ने ट्वीट करते हुए कहा, आम आदमी पार्टी द्वारा सोशल मीडिया पर एक और झूठा अभियान फैलाया जा रहा है। वित्त मंत्रालय ने किसी भी प्रकार से ब्रिटिश कंपनी के साथ कोई समझौता नहीं किया है। आम आदमी द्वारा इस अभियान में उनके नाम को केवल झूठे तौर पर फैलाया जा रहा है।”
इस बात पर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने उस टिवीट को रिटीवीट किया जिसमें कहा गया है कि स्वतंत्र भारत की में करेंसी की छपाई का सबसे बड़ा आर्डर मोदी सरकार ने एक ब्लैक लिस्टड कम्पनी को दे दिया।
Another false campaign on the social media by the AAP. Ministry of Finance has no dealings with the British Company named in this campaign
— Arun Jaitley (@arunjaitley) December 8, 2016
आम आदमी पार्टी के एक अन्य टिवीट में कहा गया डेलारू की रिर्पोट में इस बात को बताया जा चुका है कि 500 और 2000 के नये नोटों को छापने का काम उन्हें दिया गया है।
इससे पहले ‘आप एक्सप्रेस’ ने ट्वीट किया कि “की रिपोर्ट के अनुसार डेलारु कंपनी को नई 500 और 2000 के नोटो को छापने के लिए नियुक्त किया गया है।
“यह हैरान करने वाला है कि डेलारु कंपनी का नाम पनामा की काली सूची में था।
लेकिन हाल ही में दायर एक आरटीआई के जवाब में रिजर्व बैंक ने भी इनकार किया है कि छपाई के लिए किसी तीसरी पार्टी को नौकरियों का आउटसोर्स किया था।
आरटीआई के जवाब में कहा गया कि, “बैंकनोट्स चार करेंसी नोट के प्रिंटिंग प्रेस द्वारा छापे गए हैं। उनमें से दो करेंसी प्रिंटिंग प्रेस भारत सरकार के स्वामित्व में हैं और दो, रिजर्व बैंक के स्वामित्व में हैं। अलग से कोई अनुबंध किसी भी कंपनी/संगठन के लिए 2,000 रुपये के नोट मुद्रित करने के लिए नही किया गया है। ”
आरबीआई का आरटीआई के जवाब से यह स्पष्ट है कि केंद्र सरकार ने 2,000 रुपये या 500 रुपये के नोटों मुद्रित करने के लिए किसी तीसरी पार्टी से अनुबंध नहीं किया है।