बॉम्बे हाई कोर्ट ने शुक्रवार (8 मई) को नागपुर के पुलिस प्रमुख को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि लॉकडाउन के नियमों का उल्लंघन करने पर किसी भी व्यक्ति को पुलिस की असामान्य या अपमानजनक सजा का सामना नहीं करना पड़े। बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर पीठ के न्यायमूर्ति आर बी देव ने शहर के बाशिंदे संदीप नैय्यर की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की।
Mumbai High Courtनैय्यर ने लॉकडाउन लागू कराने के पुलिस के तौर-तरीके पर चिंता प्रकट की थी। नैय्यर ने याचिका में कहा था कि वैसे तो पुलिस बहुत हद तक अपने कर्तव्यों का निर्वहन कर रही है, लेकिन कई ऐसी घटनाएं भी देखने को मिली हैं जो पुलिस तंत्र को दागदार करेंगी। याचिकाकर्ता ने उन घटनाओं का हवाला दिया, जिनमें लॉकडाउन का उल्लंघन करने वालों को हाथ में तख्तियां पकड़ा दी गई और जिनपर लिखा था, ‘वे समाज और मानवता के दुश्मन हैं’। इन लोगों में वरिष्ठ नागरिक एवं महिलाएं भी थी। याचिका में कहा गया है कि इस तरह की घटनाओं की तस्वीरें ली गई और उन्हें सोशल मीडिया पर फैलाया गया। अखबारों और टीवी चैनलों पर भी ये तस्वीरें आई।
याचिकाकर्ता ने दलील दी कि पुलिस को लॉकडाउन लागू करने के लिए कानून के तहत सभी संभव कदम उठाने का अधिकार है, लेकिन इसका उल्लंघन करने वालों के साथ ऐसा अपमानजनक व्यवहार करना उनके मानवीय एवं मूल अधिकारों का गंभीर हनन है। अदालत ने कहा कि वैसे तो पुलिस तंत्र पर संदेह करने का कोई कारण नहीं है लेकिन अंत का सही होना आपके तरीकों को न्यायसंगत नहीं साबित करता है।
न्यायमूर्ति देव ने कहा कि मानव गरिमा को खुल्लम-खुल्ला तार-तार करने वाले पुलिसकर्मियों से इस तथ्य को ध्यान में रखने की उम्मीद की जाती है कि यह कानून के शासन से शासित एक सभ्य समाज है। अदालत ने नागपुर के पुलिस आयुक्त को पूरे बल को संवेदनशील बनाने का निर्देश दिया, ताकि ऐसी घटनाएं फिर से न हों। (इंपुट: भाषा के साथ)