देश की सबसे धनवान शख्सियत मुकेश अंबानी की रिलायंस इंडस्ट्रीज़ लिमिटेड (आरआईएल) ने देश के सबसे बड़े बैंक स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) की पूर्व चेयरपर्सन अरुंधती भट्टाचार्य को बोर्ड में स्वतंत्र अतिरिक्त निदेशक के तौर पर शामिल किया है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, आरआईएल ने बताया कि भट्टाचार्य की नियुक्ति 5 साल के लिए की गई है।इससे पहले निजी इक्विटी फर्म क्रिस कैपिटल ने भट्टाचार्य को अपना सलाहकार नियुक्त किया था।
बिज़नेस टुडे की खबर के मुताबिक रिलायंस की ओर से बताया गया है कि अरुंधति बतौर एडिशनल डायरेक्टर कंपनी के बोर्ड का हिस्सा बनी हैं। आरआईएल द्वारा आगे कहा गया है कि भट्टाचार्य की नियुक्ति 17 अक्टूबर 2018 से (शेयरहोल्डर्स के अनुमोदन के अनुसार) अगले पांच सालों तक के लिए हुई है।
वर्ष 1977 में प्रोबेशनरी अफसर के रूप में एसबीआई से जुड़ने वाली अरुंधति भट्टाचार्य वर्ष 2013 में सार्वजनिक क्षेत्र के सबसे बड़े बैंक की पहली महिला चेयरमैन बनी थीं। 2013 में एसबीआई प्रमुख बनी अरुंधति अक्टूबर 2017 में रिटायर हो गई थीं। इससे पहले उनका कार्यकाल एक साल के लिए बढ़ाया गया था। सोशल मीडिया पर लोगों का आरोप है कि इस खबर को हिंदी मीडिया द्वारा दबा दिया गया है।
गिरीश मालवीय नाम के एक यूजर ने लिखा है, “पूरी हिंदी मीडिया से यह खबर गायब है एसबीआई की पूर्व चेयरमैन अरुंधति भट्टाचार्य अब मुकेश अंबानी के रिलायंस इंडस्ट्रीज में 5 साल के लिए एडिशनल डायरेक्टर हो गयी हैं। आपको याद नही होगा इसलिए आपको याद दिलाने का यह उचित समय है कि स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की चेयरपर्सन अरुंधति भट्टाचार्य के कार्यकाल मे ही रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (आरआईएल) के साथ जियो पेमेंट्स बैंक एसबीआई के साथ ज्वाइंट वेंचर में एक्टिव पार्टनर बन गया था।”
मालवीय ने आगे लिखा है, “जियो पेमेंट बैंक में एसबीआई की सिर्फ 30 फीसदी हिस्सेदारी दी गयी जबकि 70 फीसदी हिस्सेदारी रिलायंस इंडस्ट्रीज को दे दी गयी थी। गजब की बात तो यह है कि जियो पेमेंट बैंक लिमिटेड को नोटबंदी के ठीक दो दिन बाद ही 10 नवंबर 2016 को आधिकारिक तौर पर निगमित किया गया था। इस समय मार्केट में मिल रहे तगड़े कॉम्पिटिशन के बावजूद एसबीआई का पेमेंट स्पेस में 30 फीसदी मार्केट शेयर है एक तरह से थाली में सजाकर एसबीआई के कस्टमर को जिओ को परोस दिया गया था, यह कमाल अरुंधति भट्टाचार्य जी ने ही किया था।”
“अरुंधति मैडम द्वारा जियो पेमेंट बैंक को एसबीआई के बड़े नेटवर्क का फायदा जो दिलवाया गया उस अहसान को आज मुकेश अम्बानी ने चुका दिया है। यह बिल्कुल इस हाथ ले और उस हाथ दे वाला मामला है। कुछ समय पहले सिर्फ कागजों में बन रहे जिओ इंस्टिट्यूट को इंस्टीट्यूट ऑफ एमिनेंस का दर्जा मानव संसाधन मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने दिया था उसके पीछे की असली वजह यह थी कि जिन्होंने ‘इंस्टीट्यूट ऑफ एमिनेंस’ की नीति बनाई थी वह विनय शील ओबरॉय जी मानव संसाधन विकास मंत्रालय के उच्च शिक्षा विभाग में मार्च 2016 में एचआरडी सेक्रटरी थे और वही रिटायरमेंट के तुरंत बाद रिलायंस में एजुकेशन के क्षेत्र में एडवाइजर के पद पर जॉइन हो गए थे ओर उन्होंने ही पूरा प्रजेंटेशन तैयार करवाया था। इतना खुले आम भ्रष्टाचार हो रहा है लेकिन मजाल है कि गोदी में बैठा हुआ मीडिया इसके खिलाफ तो छोड़िए, इस बात को ढंग से रिपोर्ट कर देना तक जरूरी नही समझ रहा है”