जम्मू-कश्मीर से धारा 370 खत्म करने और उसका बंटवारा करके केंद्र शासित प्रदेश बनाने के केंद्र सरकार द्वारा लिए गए फैसले पर राज्य के नेताओं ने सख्त विरोध जताया है। राज्य की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने संसद में गृह मंत्री की घोषणा के तुरंत बाद किए गए अपने ट्वीट में इस फैसले को विनाशकारी करार दिया।
file photoपीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की अध्यक्ष एवं जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने अनुच्छेद 370 पर उठाए गए सरकार के कदम को लेकर सोमवार को कहा कि भारत कश्मीर के साथ किए गए अपने वादों को पूरा करने में विफल रहा। सरकार ने सोमवार को एक प्रस्ताव पेश किया जिसमें जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाने की बात कही गई है। उन्होंने कहा कि “अनुच्छेद 370 निरस्त” करने का सरकार का एकतरफा फैसला अवैध एवं असंवैधानिक है।
महबूबा ने ट्विटर पर कहा कि इससे जम्मू-कश्मीर पर सारे अधिकार भारत को मिल जाएंगे। उन्होंने ट्वीट किया, “आज का दिन भारतीय लोकतंत्र का एक स्याह दिन है। 1947 में दो राष्ट्रों के सिद्धांत को खारिज करने तथा भारत के साथ जाने का जम्मू कश्मीर नेतृत्व का फैसला भारी पड़ गया। अनुच्छेद 370 रद्द करने का भारत सरकार का एकतरफा फैसला अवैध एवं असंवैधानिक है जो जम्मू-कश्मीर को चलाने का पूरा अधिकार भारत को दे देगा।
“यह उपमहाद्वीप के लिए विनाशकारी परिणाम लेकर आएगा। भारत सरकार की मंशा साफ है। वे जम्मू कश्मीर के लोगों को आतंकित कर इस पर अपना अधिकार चाहते हैं। भारत कश्मीर के साथ किए गए वादों को निभाने में विफल रहा।” पीडीपी नेता ने कहा कि राज्य के संबंध में उठाए गए कदमों पर मीडिया एवं सिविल सोसाइटी का खुशी मनाना ‘‘घृणास्पद एवं परेशान करने वाला है।”
उन्होंने ट्वीट किया, “भारत सरकार की मंशा साफ एवं बेईमान हैं। वे भारत में केवल मुस्लिम बहुल राज्यों की आबादी की संरचना को बदलना चाहती है, मुस्लिमों को इस हद तक बेबस बना देना चाहते हैं कि वे अपने ही राज्य के दोयम दर्जे के नागरिक बन जाएं। “पहले से ही नजरबंद हूं और आगंतुकों को भी नहीं मिलने दिया जा रहा। पता नहीं कब तक संपर्क नहीं कर पाऊंगी। क्या यह वह भारत है जिसे हमने स्वीकार किया था?” पीडीपी अध्यक्ष और राज्य के कई अन्य नेता रविवार से ही नजरबंद हैं।
उन्होंने ट्वीट किया, “हम जैसे लोगों के साथ धोखा हुआ जिन्होंने संसद, लोकतंत्र के मंदिर में भरोसा जताया। जम्मू-कश्मीर में वे तत्व जिन्होंने संविधान को खारिज किया और संयुक्त राष्ट्र के तहत समाधान चाहा वे सही साबित हुए। कश्मीरी जो अलगाव महसूस करते हैं उनका अलगाव यह और बढ़ाएगा।”
Today marks the darkest day in Indian democracy. Decision of J&K leadership to reject 2 nation theory in 1947 & align with India has backfired. Unilateral decision of GOI to scrap Article 370 is illegal & unconstitutional which will make India an occupational force in J&K.
— Mehbooba Mufti (@MehboobaMufti) August 5, 2019
उमर अब्दुल्ला ने भी दी प्रतिक्रिया
वहीं जम्मू-कश्मीर के पूर्व सीएम और नैशनल कॉन्फ्रेंस के कार्यकारी अध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने इस मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए अपने बयान में कहा, ‘भारत सरकार द्वारा लिए गए एकपक्षीय और चौंकाने वाले फैसले ने उस विश्वास के साथ धोखा किया है, जिसके साथ राज्य के लोग साल 1947 में भारत के साथ आए थे। इस फैसले के दूरगामी और बेहद गंभीर परिणाम होंगे। यह ऐलान उस वक्त किया गया, जबकि पूरी कश्मीर घाटी एक आर्मी के कैंप के रूप में तब्दील हो चुकी है। केंद्र का फैसला एक पक्षीय, अवैध और असंवैधानिक है और नैशनल कॉन्फ्रेंस इसे चुनौती देगी।’
Statement of Omar Abdullah, Vice-President of National Conference and former Chief Minister of Jammu & Kashmir, on revoking of Article 370 and other decisions announced by Government of India. pic.twitter.com/L9RXggb10k
— ANI (@ANI) August 5, 2019
बीएसपी ने किया समर्थन
जम्मू-कश्मीर से धारा 370 को हटाने का बीएसपी ने समर्थन किया। BSP सांसद सतीश चंद्र मिश्रा ने राज्सभा में कहा, “हमारी पार्टी पूरा समर्थन देती है। हम चाहते हैं कि विधेयक पारित हो। हमारी पार्टी धारा 370 विधेयक और अन्य विधेयक का कोई विरोध नहीं कर रही है।”
बीजेपी की सहयोगी पार्टी जेडीयू ने किया विरोध
वहीं, बीजेपी की सहयोगी पार्टी जेडीयू ने जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटाने का विरोध किया है। जेडीयू नेता केसी त्यागाी ने कहा, “हमारे प्रमुख नीतीश कुमार जेपी नारायण, राम मनोहर लोहिया और जॉर्ज फर्नांडीस की परंपरा को आगे बढ़ा रहे हैं। इसलिए हमारी पार्टी आज राज्यसभा में लाए गए विधेयक का समर्थन नहीं कर रही है। हमारी अलग सोच है। हम चाहते हैं कि धारा 370 को निरस्त न किया जाए।”
बता दें कि, केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने सोमवार सुबह राज्यसभा में जम्मू-कश्मीर से धारा 370 खत्म करने की सिफारिश की। इसके बाद राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने इसे मंजूरी दे दी। इसके साथ ही जम्मू-कश्मीर से विशेष राज्य का दर्ज छिन गया। अमित शाह ने लद्दाख के लिये केंद्र शासित प्रदेश के गठन की घोषणा की जहां चंडीगढ़ की तरह से विधानसभा नहीं होगी। अमित शाह ने राज्यसभा में घोषणा की कि कश्मीर और जम्मू डिवीजन विधान के साथ एक अलग केंद्र शासित प्रदेश होगा जहां दिल्ली और पुडुचेरी की तरह विधानसभा होगी। (इंपुट: भाषा के साथ)