दिल्ली का प्रशासनिक बॉस कौन? सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक बेंच इस मुद्दे पर सुनवाई शुरू कर दी है। उपराज्यपाल को दिल्ली का प्रशासनिक प्रमुख बताने वाले, दिल्ली हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती देने वाली दिल्ली सरकार की विभिन्न याचिकाओं पर गुरुवार (2 नवंबर) को सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई शुरू की।
प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ के समक्ष दिल्ली सरकार की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल सुब्रमण्यम ने अपनी दलीलें पेश कीं। संविधान पीठ में प्रधान न्यायाधीश मिश्रा के अलावा न्यायमूर्ति ए. के. सीकरी, न्यायमूर्ति ए. एम. खानविलकर, न्यायमूर्ति डी. वाई चन्द्रचूड़ और न्यायमूर्ति अशोक भूषण भी हैं।
अधिवक्ता सुब्रमण्यम ने पीठ को बताया कि अपनी याचिका में वह दिल्ली हाई कोर्ट के चार अगस्त, 2016 के फैसले को चुनौती दे रहे हैं, जिसमें उपराज्यपाल को दिल्ली का प्रशासनिक प्रमुख बताया गया है। दिल्ली केंद्र शासित प्रदेश भी है।उन्होंने कहा कि इसमें अनुच्छेद 239 एए को चुनौती दी गयी है। इस अनुच्छेद के तहत दिल्ली को विशेष दर्जा दिया गया है।
शीर्ष न्यायालय ने हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती देने वाली आम आदमी पार्टी सरकार की याचिकाओं को 15 फरवरी को संविधान पीठ के पास भेज दिया था। गौरतलब है कि दिल्ली हाई कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि दिल्ली राज्य नहीं है और उपराज्यपाल उसका प्रशासनिक प्रमुख है।