केंद्रीय मंत्रिमंडल में रविवार(3 अगस्त) को तीसरा और संभवत: आखिरी फेरबदल हो गया है। इस नए कैबिनेट फेरबदल में कुल 13 मंत्रियों ने शपल ली है। इनमे चार मंत्रियों का प्रमोशन हुआ है, जबकि नौ नए चेहरों को राज्यमंत्री के रूप में शामिल किया गया है। एक तरफ जहां अनुभवी नेताओं को जगह मिली है, वहीं कुछ युवा चेहरों को भी तरजीह दी गई है।खास बात यह है कि इस फेरबदल में किसी भी सहयोगी दल से मंत्री नहीं बनाया गया है।
@PIB_Indiaजिन मंत्रियों का प्रमोशन हुआ है उनमें पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री धर्मेंद्र प्रधान, बिजली मंत्री पीयूष गोयल, वाणिज्य और उद्योग मंत्री निर्मला सीतारमण और अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी शामिल हैं। इन चारों मंत्रियों को मोदी मंत्रिमंडल में राज्यमंत्री से कैबिनेट का दर्जा दिया गया है। मोदी मंत्री मंडल में केरल, कर्नाटक, दिल्ली, राजस्थान, बिहार और उत्तर प्रदेश के नये चेहरों को जगह दी गई है।
जबकि, राज्यमंत्री पद की शपथ लेने वालों में पूर्व गृह सचिव और बीजेपी सांसद राजकुमार सिंह, मुंबई पुलिस के पूर्व कमिश्नर और यूपी के बागपत से सांसद सत्यपाल सिंह, उत्तर प्रदेश से राज्यसभा सदस्य शिव प्रताप शुक्ला, बिहार से बीजेपी सांसद अश्विनी कुमार चौबे, पूर्व आईएफएस अधिकारी हरदीप सिंह पुरी, कर्नाटक से सांसद अनंत कुमार हेगड़े, मध्यप्रदेश के डॉ. वीरेंद्र कुमार, राजस्थान के गजेंद्र सिंह शेखावत और पूर्व आईएएस अधिकारी अल्फोंस कन्ननथनम शामिल हैं।
नए मंत्रियों के बारे में जानें सबकुछ
- शिव प्रताप शुक्ल: उत्तर प्रदेश से राज्यसभा सांसद हैं। 1989 से 1996 तक लगातार चार बार विधायक रहे। यूपी सरकार में आठ वर्षो तक कैबिनेट मंत्री रहे हैं। ग्रामीण विकास, शिक्षा और जेल सुधार को लेकर किए गए अपने काम के लिए जाने जाते हैं। शिवप्रताप आपातकाल के दौरान 19 महीने जेल में बंद रहे थे।
- अश्विनी कुमार चौबे: बिहार के बक्सर से लोकसभा सांसद हैं। बिहार विधानसभा में लगातार पांच बार विधायक चुने जा चुके हैं। राज्य सरकार में आठ वर्षो तक मंत्री रहे। जेपी आंदोलन से राजनीति की शुरुआत की थी।
- राजकुमार सिंह (आरके सिंह): 1975 बैच के पूर्व आइएएस अधिकारी हैं राज कुमार सिंह उर्फ आर के सिंह। बिहार के आरा से लोकसभा सांसद। कई संसदीय समितियों के सदस्य, 1975 बैच के आईएएस सिंह देश के गृह सचिव रहे। रामजन्म भूमि आंदोलन में एलके आडवाणी को गिरफ्तार किया था।
- वीरेंद्र कुमार: मध्य प्रदेश के टीकमगढ़ से लोकसभा सांसद है। अबतक छह बार सांसद और कई संसदीय समितियों के सदस्य रहे हैं। जयप्रकाश नारायण आंदोलन में प्रमुखता से हिस्सा लेने वाले वीरेंद्र कुमार ने आपातकाल के दौरान 16 माह जेल में बिताए थे।
- अनंत कुमार हेगड़े: कर्नाटक के उत्तर कन्नड़ से लोकसभा सांसद हैं। महज 28 साल की उम्र में पहली बार सांसद बनने के बाद लोकसभा में यह उनकी पांचवीं पारी है। संसद की विदेश और मानव संसाधन विकास मामलों की स्थायी समिति के सदस्य हैं। अनंत को कोरियन मार्शल आर्ट ‘ताई-नो-डू’ में महारत हासिल है।
- हरदीप सिंह पुरी: 1974 बैच के आइएफएस अधिकारी रहे पुरी चार दशक तक राजनयिक सेवा में रहे हैं। विदेश नीति और राष्ट्रीय सुरक्षा मुद्दों पर लंबा अनुभव प्राप्त है। संयुक्त राष्ट्र समेत कई देशों में भारत के राजदूत रहे। दिल्ली के हिंदू कॉलेज में पढ़ाई के समय जेपी आंदोलन में सक्रिय रहे हैं।
- गजेंद्र सिंह शेखावत: राजस्थान के जोधपुर से लोकसभा सांसद हैं। ग्रामीण समुदाय में खासी पैठ है और प्रगतिशील किसान माने जाते हैं। बास्केट बॉल के राष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी रहे हैं। तकनीकी विशेषज्ञ शेखावत क्योरा साइट पर बेहद लोकप्रिय हैं। शेखावत अखिल भारतीय खेल परिषद के सदस्य भी हैं।
- सत्यपाल सिंह: उत्तर प्रदेश के बागपत से वरिष्ठ नेता अजीत सिंह को हराकर सांसद बने। सिंह गृह मंत्रालय की स्थायी समिति के सदस्य हैं। 1980 बैच के आईपीएस अधिकारी मुंबई के पुलिस कमिश्नर रह चुके हैं। इन्होंने मुंबई में अपराधी गिरोहों के खिलाफ बड़ा अभियान चलाया था।
- अल्फोंस कन्ननथनम: 1979 बैच के आईएएस अधिकारी और केरल के वरिष्ठ बीजेपी नेता हैं। 1989 में उनके डीएम रहते कोट्टायम सौ फीसद साक्षरता वाला देश का पहला शहर बना था। डीडीए कमिश्नर रहने के दौरान 15 हजार अतिक्रमण ढहाए। अल्फांस 2006 से 2011 तक केरल से निर्दलीय विधायक निर्वाचित हुए थे।