गुजरात: गिर में वायरस की चपेट में आकर 12 सितंबर से अब तक 21 शेरों की मौत, सरकार पर उठे सवाल

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दुनिया में एशियाई शेरों की एकमात्र शरणस्थली माने जाने वाले गुजरात के गिर वन से बचाए गए सात शेरों की यहां उपचार के दौरान मौत हो गई जिससे 12 सितंबर के बाद से मरने वाले शेरों की कुल संख्या 21 हो गई है। राज्य सरकार ने सोमवार को यह जानकारी दी। सरकार ने स्वीकार किया कि विषाणु संक्रमण के कारण भी कुछ शेरों की मौत हुई है। लगातार शेरों की हो रही मौत के बाद अब राज्य सरकार पर सवाल उठने शुरू हो गए हैं।

File Photo Credit: The Hindu/Vijay Soneji

सरकारी अधिकारियों ने कहा कि कुछ शेरों की मौत के लिए जिम्मेदार विषाणु किस प्रकार के हैं, उनकी अभी तक पहचान नहीं हुई है। गौरतलब है कि दुनिया में एशियाटिक शेरों का एकमात्र आश्रय गिर ही है। शेरों के एनआईवी सेम्पल पूना जांच के लिए भेजे गए हैं, एफएसएल टीम भी जंगल का निरीक्षण कर रही है।

आपको बता दें कि एक शेर की औसत आयु 14 से 15 साल होती है। गिर वन में 2015 में हुई पिछली पांच वर्षीय सिंह गणना में उनकी संख्या 523 थीं जो उससे पहले की ऐसी गणना की तुलना में करीब 27 प्रतिशत अधिक थी। इस तरह हर साल लगभग पांच प्रतिशत की वृद्धि दर शेर जैसे जानवर के लिए बहुत अच्छी है।

हर साल गिर में करीब 210 शावक जन्म लेते हैं इनमें से आम तौर पर 25 से 30 प्रतिशत यानी 60 से 70 ही बच पाते हैं कि करीब 70 प्रतिशत यानी 140 का प्राकृतिक कारणों से मौत हो जाना सामान्य बात है। मुख्यमंत्री विजय रूपाणी ने पिछले दिनों 11 शेरो की मौत की घटना के बारे में कहा था कि अगर इसमें किसी की लापरवाही सामने आती है तो सरकार कड़ी कार्रवाई करेगी।

उन्होंने कहा कि शेर गुजरात के गौरव हैं और सरकार पूरे मामले को गंभीरता से ले रही है। सरकार यह देखेगी कि ये मौतें स्वाभाविक हैं अथवा अस्वाभाविक तथा भविष्य में इनकी पुनरावृत्ति को रोकने के लिए कदम उठाएगी। हालांकि गुजरात सरकार के तमाम दावों के बावजूद शेरों की मौत का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है।

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