आंध्र प्रदेश एवं तेलंगाना महिला आयोग ने मद्रास हाईकोर्ट के बच्चों के साथ बलात्कार करने वालों को नपुंसक बनाने के विचार स्वागत किया है। आयोग का कहना है कि “यह बलात्कारियों के सिलसिले में सबसे अच्छा समाधान है।”
राज्य की महिला आयोग की अध्यक्ष त्रिपूर्णा वेंकटरत्नम ने बताया, “मैं बहुत खुश हूं कि मद्रास हाईकोर्ट के विद्वान न्यायाधीशों में से एक ने कहा है कि नपुंसक बना दिया जाना नाबालिग लड़कियों से बलात्कार करने वालों के मामले में सबसे अच्छा हल है। मैंने अभी क्या, करीब पंद्रह साल पहले ही बैठकों में यह राय जाहिर की थी।”
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सरकार द्वारा नपुंसक बनाये जाने की सजा कस अतिरिक्त उपाए के रूप में मान्यता मिलने के प्रति उन्होंने कहा, “मुझे शक है। चूंकि आप जानते हैं कि ये मानवाधिकारवादी कार्यकर्ता ‘नहीं’ कहते हैं और हम जैसे लोग ‘हां’ कहते हैं। इसलिए हमेशा संघर्ष होगा। देखिए और इंतजार कीजिए।”
इससे पहले मद्रास हाईकोर्ट ने एक मामले की सुनवाई के चलते केंद्र से बच्चों के साथ बलात्कार करने वाले को नपुंसक करने की सजा देने के बारे में विचार करने की सलाह दी है।
अदालत ने कहा था कि, “भारत के विभिन्न हिस्सों में बच्चों से गैंगरेप की विभत्स घटनाओं को लेकर अदालत बेखर या मूकदर्शक बना नहीं रह सकता।”
जस्टिस एन. किरुबकरण ने आदेश प्रकट करते हुए कहा, “बाल यौन अपराध संरक्षण अधिनियम (पोक्सो) जैसे कड़े कानून होने के बावजूद बच्चों के खिलाफ अपराध बदस्तूर बढ़ रह हैं।”
अपराधों की संख्या साल 2012 और 2014 के बीच 38,172 से बढ़कर 89,423 तक हो गई है। जज ने कहा, “अदालत का मानना है कि बच्चों के बलात्कारियों को बधिया करने से जादुई नतीजे देखने को मिलेंगे।”
उन्होंने बताया कि इस तरह की बुराई से निपटने में यह कानून बेअसर साबित हो रहा है, साथ ही बताया कि इस तरह के दोषियों के लिए रूस, पोलैंड और अमेरिका के नौ राज्यों में बधिया करने का प्रावधान है।
कोर्ट ने यह फैसला तमिलनाडु के एक 15 वर्षीया बच्चे के यौन शोषण के दोषी एक ब्रिटिश नागरिक द्वारा केस रद्द करने की याचिका को ख़ारिज करते हुए सुनाया।