सरकार ने कहा कि देश के नौ राज्यों के 270 जिले सूखे से प्रभावित हैं।
इससे निपटने के लिए प्रभावी कदम उठाए गए हैं और यह सुनिश्चित किया गया है कि बुवाई क्षेत्र में कमी न आए।
लोकसभा में सूखे पर चल रही चर्चा में अब तक 33 सदस्य अपनी बात रख चुके हैं, जबकि 41 ने लिखित में अपने विचार दिए हैं।
इस चर्चा का जवाब देते हुए शुक्रवार को केंद्रीय कृषि मंत्री राधामोहन सिंह ने कहा कि 2017 तक सभी किसानों को मृदा स्वास्थ्य कार्ड दे दिए जाएंगे।
इस चर्चा की शुरुआत कांग्रेस सदस्य ज्योतिरादित्य सिंधिया ने पिछले सप्ताह की थी। हालांकि मंत्री जब जवाब दे रहे थे, उस वक्त कांग्रेस सदस्य सदन में मौजूद नहीं थे।
बीते हफ्ते इस चर्चा की शुरुआत कांग्रेस के ज्योतिरादित्स सिंधिया ने की थी। उन्होंने कहा था कि 190 लाख हेक्टेयर भूमि सूखे से प्रभावित है और प्रभावित राज्य केंद्र सरकार से 25 हजार करोड़ रुपये राहत राशि चाहते हैं।
मंत्री ने कहा कि कर्नाटक, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा, उत्तर प्रदेश, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश और झारखंड सूखे से प्रभावित हैं। यहां खरीफसीजन 2015 में कम बारिश हुई है।
उन्होंने कहा कि ज्ञापन के मुताबिक नौ राज्यों में 207 जिलों को सूखा प्रभावित घोषित किया गया है।
उन्होंने कहा कि 302 जिलों में 20 फीसदी कम बारिश दर्ज की गई लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि सभी सूखा प्रभावित हैं।
सिंह ने इस सोच को गलत बताया कि सूखे जैसी विपरीत परिस्थितियां झेल रहे राज्यों को तभी आर्थिक सहायता मिलेगी जब केंद्र द्वारा भेजी गई कोई समिति इसकी सिफारिश करेगी।
उन्होंने कहा कि राज्य का अपना राज्य आपदा कोष है जिसमें केंद्र की ओर से 75 फीसदी राशि दी जाती है।
उन्होंने कहा कि इस साल रबी सीजन में 442 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में बुवाई हुई है जबकि पिछले साल 446 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में बुवाई हुई थी।
उन्होंने कहा कि पिछले साल के मुकाबले इस साल बुवाई क्षेत्र 16 फीसदी कम है लेकिन अभी 15 दिन की बुवाई बाकी है।
उन्होंने कांग्रेस नेतृत्व वाली संप्रग सरकार की फसल बीमा योजना के बारे में कहा कि इसमें कई कमियां हैं। भुगतान में विलंब इनमें से एक है। इस योजना की समीक्षा की गई है। प्रीमियम की राशि घटाई जाएगी।
फसलों और अन्य उत्पादों के न्यूनतम समर्थन मूल्य के बारे में जताई गई चिंता पर उन्होंने कहा कि वह किसानों पर राष्ट्रीय नीति की समीक्षा के लिए समिति का गठन करेंगे।