सोमवार को जम्मू-कश्मीर असेंबली में एक मर्तबा फिर गरमा गर्मी देखी गई जब मुख्यमंत्री महबूबा मुफ़्ती और नेशनल कांफ्रेंस की नेता उमर अब्दुल्लाह एक दुसरे के आमने सामने हुए।
वैसे तो यह लफ़्ज़ों की जंग के पीछे वजह थी राज्य में कथित तौर पर पूर्व सैनिकों केलिए सैनिक कॉलोनी का बनाया जाना, लेकिन बातों ही बातों में ज़िक्र ट्विटर का आ निकला।
मुफ़्ती ने अब्दुल्लाह पर आरोप लगाते हुए कहा कि वो अपने ट्विटर अकाउंट के ज़रिए लोगों में भ्रम फैला रहे हैं और राज्य सरकार का सैनिक कॉलोनी बनाने का कोई इरादा नहीं है।
पूर्व मुख्यमंत्री अब्दुल्लाह, जिनके ट्विटर पर तक़रीबन १५ लाख फ़ॉलोअर्स हैं, कहा, “आप को तो उस वक़्त ख़ुशी होगी जब मैं अपना ट्विटर अकाउंट डिलीट कर दूंगा। ”
लेकिन अब्दुल्लाह न कहा कि वो ट्विटर के ज़रिये आगे भी लोगों को जागरूक करते रहेंगे।
बाद में दो ट्वीट्स के ज़रिए अब्दुल्लाह ने कहा, “ये ट्वीट महबूबा मुफ़्ती केलिए जिन्होंने असेंबली में आज हस्तक्षेप करके ये साबित करदिया है कि उन्हें मेरे ट्वीट करने से कितनी नफरत है ”
This tweet's dedicated to @mufti_mehbooba who through her ill tempered assembly intervention made me realise how much she hates me tweeting
— Omar Abdullah (@OmarAbdullah) June 6, 2016
अब्दुल्लाह के दुसरे में उन्होंने मुफ़्ती पर मीडियाकर्मी पर निशाना बनाने का आरोप लगाया।
जम्मू कश्मीर में इस समय PDP और BJP की साझा सरकार है। भाजपा चाहती है कि पूर्व सैनिकों केलिए सैनिक कॉलोनी बनायी जाए लेकिन घाटी की क्षेत्रीय पार्टियां इसका विरोध कर रही हैं।