अतिरिक्त स्पेक्ट्रम आवंटन मामले में पूर्व दूरसंचार सचिव बरी

0

केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की विशेष अदालत ने गुरुवार को 2002 के अतिरिक्त स्पेक्ट्रम आवंटन मामले से पूर्व दूरसंचार सचिव श्यामल घोष और तीन अन्य दूरसंचार कंपनियों को बरी कर दिया।

सीबीआई की अदालत के विशेष न्यायाधीश ओ.पी.सैनी ने घोष और तीन दूरसंचार कंपनियों-भारती सेल्युलर लिमिटेड, हचिसन मैक्स टेलीकॉम प्रा.लि. (वोडाफोन इंडिया लि.) और स्टर्लिग सेल्युलर लि. (वोडाफोन मोबाइल सर्विस लि.) को उन पर लगे आरोपों से बरी कर दिया है।

दूरसंचार विभाग ने 31 जनवरी 2002 को अतिरिक्त स्पेक्ट्रम का आवंटन किया था। उस समय राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) की सरकार थी। इस अतिरिक्त स्पेक्ट्रम आवंटन से सरकार को 846 करोड़ रुपये का घाटा हुआ था।

विशेष न्यायाधीश ने 235 पृष्ठ के अपने आदेश में कहा, “मुझे आरोपियों के खिलाफ कोई भी आपराधिक सबूत नहीं मिला है और इसलिए आरोपी बरी होने के हकदार हैं।”

अदालत ने पाया कि सीबीआई द्वारा 21 दिसंबर 2012 को दाखिल किया गया आरोपपत्र झूठे और मनगढ़ंत तथ्यों से भरा है।

न्यायालय ने सीबीआई निदेशक को दोषी अधिकारियों की जांच और नियमानुसार कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं।

न्यायालय ने घोष और तीनों कंपनियों के खिलाफ आपराधिक षड्यंत्र रचने और भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम के विभिन्न प्रावधानों के तहत लगे आरोप खारिज कर दिए हैं।

Previous articleवीरभद्र सिंह मामले को लेकर CBI पहुंची सुप्रीम कोर्ट
Next articleDelhi govt notice to 89 hospitals on skewed sex ratio