दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल ने कहा कि वह और उनका परिवार चिंतित रहता है, जब तक कि उनकी बेटी आईआईटी परिसर से लौट नहीं आती है। उनकी यह टिप्पणी महिलाओं के अधिकारों के बिल पर एक परामर्श के रूप में सामने आई।
उन्होंने बताया की मेट्रो स्टेशन घर से थोड़ी सी दूरी पर होने की वजह से घर में बच्ची के लिए टेंशन रहती है।
उन्होंने कहा ,”जब मैं एक मुख्यमंत्री होने के बावजूद अपनी बेटी के बारे में इतना चिंतित रहता हूँ, तो मैं समझ सकता हूँ कि एक आम आदमी को अपनी बेटी की कितनी फ़िक्र रहती होगी। ”
केजरीवाल ने बताया की उनकी सरकार ने सीसीटीवी कैमरे लगाने जैसे कई अहम कदम उठाए हैं, जो कि महिलाओं के खिलाफ हो रहे अपराधों के लिए एक निवारक के रूप में कार्य करेंगे।
दिल्ली सचिवालय में दिल्ली संवाद आयोग (डीडीसी) द्वारा आयोजित विधेयक के मसौदे पर विचार-विमर्श करते हुए केजरीवाल ने कहा ,”इसी तरह, बसों में भी हम सीसीटीवी कैमरे स्थापित कर रहे हैं, जिसके तहत ‘रोड़साइड रोमेओस’ का अंत होगा। लेकिन चाक़ू ले कर घूम रहे गिरोहों पर CCTV कैमरा का कोई असर नहीं होता है। लेकिन लगभग 50-60 प्रतिशत मामलों में गिरावट होगी। ”
केजरीवाल ने जोर देते हुए कहा कि महिलाओं की सुरक्षा ही उनकी सरकार की प्राथमिकता है। और महिलाओं के अधिकार का बिल जो अगले विधानसभा सत्र में लाया जाएगा, उसके लिए दिल्ली महिला आयोग को दाद देनी होगी।
2015 के प्रस्तावित चार्टर महिलाओं के अधिकारों का यह बिल, दिल्ली महिला आयोग को अधिक प्रशासनिक और न्यायिक शक्तियां देकर और मजबूत बनाएगा। और इसमें निर्भया बलात्कार मामले को मद्देनजर रखते हुए जस्टिस जेएस वर्मा समिति द्वारा की गई सिफारिश को भी शामिल किया जाएगा।
केजरीवाल ने बताया कि,”यदि एक महिला बाहर जा रही है तो उसे सुरक्षित महसूस करना चाहिए। और अगर वह सुरक्षित महसूस करेगी तो उसके माता-पिता भी उसके लिए सुरक्षित महसूस करेंगे। हमे एक ऐसी प्रणाली प्रदान करने की आवश्यकता है जिससे महिला शहर के चारों ओर स्वतंत्र रूप से घूम सके और सुरक्षित महसूस करे।”