उत्तर प्रदेश के महोबा मे माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने अपने भाषण मे मुस्लिम समुदाय की बहन बेटियों की हक की बात और उनको संविधान के मुताबिक अधिकार दिलाने की बात कही। प्रधानमंत्री जी ने कहा की मुस्लिम बहनों का क्या अपराध है कि कोई उन्हें फोन पर तलाक कह देता है और उनकी जिंदगी तबाह हो जाती है। बिल्कुल सही बात है फोन पर तलाक़ जैसा बेहुदा सिस्टम बिल्कुल बंद होना चाहिए। ये बात मैं भी मानता हूँ की शरीअत के तलाक़ वाले नियम मे जो कूछ खामियाँ आ गई है उसे दूर किया जाना चाहिए उसके लिए बकायदा मुस्लिम धर्मगुरुओं से बात करके इन खामियों को दूर किए जाने के प्रयास होने चाहिए, मगर एक समान नागरिक सहिंता के बहाने ये मुस्लिम समाज पर थोपा जाएं (जैसा की सुब्रमण्यम स्वामी जी ने अपने एक बयान मे कहा है) तो ये गलत बात होगी।
जिस समय मोदी जी उत्तर प्रदेश के महोबा मे मुस्लिम बहनों को संविधान के मुताबिक हक दिलाने के मुद्दे पर अपना भाषण दे रहे थे मुस्लिम बहनों के हक की बात कर रहे थे। ठीक उसी समय एक मुस्लिम बहन इंसाफ की आस लिए घर के एक कोने मे दुबकी बैठी थी। मोहिदा खातून झारखंड के जमताड़ा की रहने वाली एक प्रताड़ित मुस्लिम बहन है जो इसलिए प्रताड़ित नही है की उसके पति ने उसे तलाक़ दे दिया है बल्कि इसलिए प्रताड़ित है कि उसके पति ने आपके DigitalIndia मे वाट्स्एप पर आपत्तिजनक पोस्ट कर दी थी जिसकी वजह से पुलिस उसे हिरासत मे लेती है और संदिग्ध परिस्थितियों मे उसकी मौत हो जाती है। अब वो बहन गोद मे आठ माह की बच्ची लिए इंसाफ की आस लगाए बैठी है की कोई आये और तीन तलाक की तरह उसके पति की मौत के जिम्मेदार लोगांे को सजा दिलवाने मे भी दिलचस्पी ले। कोई आए और उसकी भी बात सुने, उसके पती पर जो जुल्म हुआ है उसका हिसाब पूछे।
आदरणीय मोदी जी जब भाषण मे मुस्लिम माँ-बहनों को संविधान के मुताबिक हक दिलाने की बात कर रहे तभी JNU की चोखट पर एक मुस्लिम माँ अपना कलेजा छलनी किए बदहवास रोऐ जा रही थी। उसका जवान बेटा पिछले एक हफ्ते से लापता है वो हाॅस्टल से गायब हो गया है। उस माँ के कलेजे का टुकड़ा किस हाल मे हैं कहाँ है ये आपकी पुलिस नही बता पा रही है ये वही पुलिस है जो सुबह शाम एक पार्टी विशेष के विधायको की आपराधिक कुण्डली खंगालने मे जुटी रहती है उन्हें गिरफ्तार करने के नित नये बहाने खोजती रहती है। आपकी इस पुलिस को 8 दिनों से JNU के कैंपस से लापता एक छात्र का सुराख तक नही लग पा रही है।
आदरणीय मोदी जी जिस वक्त आप मीडिया से अपील कर रहे थे की वो फला मुद्दे को फला फला मुद्दा ना बनाये। ठीक उसी समय झारखंड की वो बहन और JNU मे आंसुओं से तरबतर वो माँ ये उम्मीद लगाए बैठी थी कि देश के चैनल और एंकर उनके मुद्दे को भी तीन तलाक़ की ही तरह कोई बड़ा मुद्दा बना ले। काश न्यूज चैनलों की सुर्खियाँ उनके इंसाफ की लड़ाई के लिए सुर्ख हो जायें। चैनलों के ऐंकर मुद्दो पर सरकारों से सवाल पूछे राजनीतिक नुमाइंदो को बुलाकर बहस का मुद्दा बनाये की शायद इससे उस माँ के बेटे को ढूंढने मे और उस बहन के पति को मौत की नींद सुलाने वालो को सजा दिलाने मे कुछ मदद मिल सके।
आदरणीय मोदी जी इस देश की मुस्लिम महिलायें फोन पर तीन तलाक़ कहने के अलावा और दीगर वजहों से भी प्रताड़ित है। काश उन सब वजहों से भी आप उन्हें संविधान मुताबिक अधिकार और इंसाफ दिलाने की बात करते। अपनी जिम्मेदारी को दोहराते, अहसान जाफरी की पत्नी जकिया जाफरी, उनकी बेटी निशरीन जाफरी, अखलाक अहमद की बेटी साजिदा, मिन्हाज अंसारी की पत्नी मोहिदा खातून, JNU के लापता छात्र नजीब अहमद की माँ को भी संविधान के मुताबिक न्याय दिलाने की बात दोहराते। खैर उम्मीद है आप जब अपने अगले भाषण मे मुस्लिम माँ बहनों को संविधान के मुताबिक उनका हक दिलाने की बात कहेंगे तो इन सब माँ बहनो का जिक्र भी जरूर करेंगे।