आदरणीय अमित शाह जी,
नमस्कार।
कल जम्मू कश्मीर की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती जी से मिला। मैंने उनसे चार सवाल पूछे। मैंने उनसे पूछा कि क्या वो बुरहान वानी को आतंकवादी मानती है? क्या अफजल गुरु को आतंकवादी मानती है? कश्मीर में रोजाना हमारे वीर जवान भारत माता की जय बोलकर शहीद हो रहे हैं, क्या महबूबा मुफ्ती भारत माता की जय बोलेंगी?
चार में से इन तीन सवालों का उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया, और उनका जवाब क्या है, ये आप भी जानते है और सारा देश भी।
चौथा सवाल मैंने उनसे JNU में देश विरोधी और अफजल गुरु के समर्थन में लगे नारों के बारे में पूछा। इसका उन्होंने जवाब दिया ये कहकर की यूनिवर्सिटी में ऐसे नारे लगना डेमोक्रेसी का हिस्सा है।
25 मार्च को मैंने आपको एक पत्र लिखा था, और यही सवाल आपसे पूछे थे कि जब महबूबा मुफ्ती और उनकी पार्टी PDP खुलेआम देश विरोधी और आतंकियों की समर्थक है तब भी भाजपा उनके साथ सरकार क्यों बना रही है। आपने कोई जवाब नहीं दिया।
ये सवाल उठ रहे थे कि JNU में जिन कश्मीरी लड़को ने नारे लगाये महबूबा मुफ्ती के दबाव में केंद्र सरकार ने उन पर कोई कार्यवाही न करने का निर्णय लिया। कल महबूबा मुफ्ती ने भी ऐसा ही इशारा किया कि वो नहीं चाहती JNU वाले मुद्दे पर कोई कार्यवाही हो।
ये क्या है सर? कहाँ गई भाजपा की देशभक्ति और राष्ट्रप्रेम की बड़ी बड़ी बातें। सत्ता के लिए इतना बड़ा समझौता? ये तो पूरे देश के साथ धोखा है।
जरा सोचिए हमारे सेना के मनोबल पर क्या असर पड़ता होगा जब उन्हें पता चलता होगा की जिन आतंकियों से वो लड़ते है, जिन आतंकियों को वो मारते है। मुख्यमंत्री उन्हें आतंकी मानती ही नहीं।
सोचिये सैनिकों को कितना दुःख होता होगा ये जानकर कि देश की सत्ताधारी भाजपा ऐसे लोगो को समर्थन दे रही है जो बुरहान वानी और अफजल गुरु को हीरो बनाते है। सेना के जवानों पर क्या बीतती होगी जब वो आपको महबूबा मुफ़्ती के साथ हँसते, बतियाते, सरकार चलाते देखते होंगे।
जिस दिन ISI वाले पठानकोट की जांच करने आये उस दिन सेना का कितना मनोबल टूटा होगा। कितने शहीदों की आत्माएं तड़पी होंगी उस काले दिन।
ऐसे लोग जो आतंकियों के प्रति सॉफ्ट कॉर्नर रखते है उनसे दोस्ती की मजबूरी क्या है?
क्या जिन सवालों के जवाब महबूबा मुफ्ती ने नहीं दिए, उनके जवाब आप देंगे?
मैंने महबूबा मुफ्ती से सवाल पूछे और दर्द भाजपा को हुआ। ऐसा क्यों?
क्या बिहार में अलग भाषण, जम्मू में अलग, कश्मीर में अलग और दिल्ली में अलग भाषण – बस यहीं है भाजपा की असलियत।
आपके जवाब का इंतेज़ार है। चुप्पी मतलब सत्ता के लालच में मूक समझौता ही माना जायेगा। चुप्पी मतलब कश्मीर में आतंकियों को हीरो बनाने वालों से कोई बड़ी डील है।
एक तरफ सेना आतंकियों से लड़ रही हो, और दूसरी तरफ आप उनके sympathisers के साथ खड़े हो।
आप और आपकी पार्टी के कुछ लोगो ने पूरे देश की देशभक्ति पर सवाल उठाने का ठेका लिया हुआ है। बिहार में कोई आपको वोट न दे तो उसको पाकिस्तानी बताते हो। कोई दलित सवाल पूछ ले तो गद्दार बताते हो। कोई आदिवासी अपना हक मांग ले तो देशद्रोही बताते हो। जो आपका झूठ पकड़ ले उसे देश का दुश्मन बताते हो। अपने खुद के वादों को जुमला बताते हो।
1. सदन का सत्र बुलाकर पाकिस्तान को आतंकी राष्ट्र घोषित करने से आपको किसने रोका है? क्यों नहीं घोषित करते पाकिस्तान को आतंकी देश?
2. पाकिस्तान को दिया हुआ Most Favoured Nation का दर्जा खत्म करने से आपको किसने रोका है? किसके दबाव में आज भी जारी है ये स्टेटस ?
आज सवाल आपकी देशभक्ति पर है।
क्या मजबूरी है? बताइये देश को जरा। Please
आपके जवाब के इंतज़ार में