राज्यों के लापरवाही भरे रवैये से भड़के चीफ जस्टिस , कहा- ये सुप्रीम कोर्ट है या कोई मज़ाक ?

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सार्वजनिक हितों से जुड़ी कई याचिकाओं पर राज्यों के लापरवाही भरे रवैये से नाराज होकर चीफ जस्टिस ने पूछा कि यह सुप्रीम कोर्ट है या मजाक? चीफ जस्टिस जगदीश सिंह खेहर और जस्टिस धनंजय वाई चंद्रचूड़ की पीठ ने नाराजगी भरे लहजे में कहा कि क्या यहां किसी किस्म की पंचायत चल रही है जो राज्य गंभीर ही नहीं है?

पीठ ने साफ कहा कि राज्य सुप्रीम कोर्ट के साथ मजाक क्यों कर रहे हैं? पीठ ने इसके बाद पूछा कि क्या राज्य इसका महत्व तभी समझेंगे जब उनक मुख्य सचिवों को तलब किया जाएगा। CJI ने यह टिप्पणी तीन जनहित याचिकाओं की सुनवाई के दौरान दी। इनमें सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों से जवाब दाखिल करने को कहा था।

पीठ ने सुनवाई के लिए पहली दो जनहित याचिकाओं के अवलोकन के बाद कहा, ‘यह महत्वपूर्ण काम है। क्या यहां पर हम किसी तरह का खेल खेलते हैं? अगर आप (राज्यों का प्रतिनिधित्व कर रहे वकील) अपने जवाबी हलफनामे दाखिल नहीं करना चाहते हैं तो यह कहिए। हम आपके बयान रिकॉर्ड कर लेंगे।

इन याचिकाओं पर नोटिस तामील होने संबंधी रिपोर्ट के अवलोकन के बाद पीठ ने कहा कि अगर वे और समय चाहते हैं तो उन्हें खड़े होकर इसका अनुरोध करना चाहिए।

भाषा की खबर के अनुसार, पीठ ने 2012 में औद्योगिक प्रदूषण को लेकर दायर गुजरात स्थित गैर सरकारी संगठन पर्यावरण सुरक्षा की याचिका पहले सुनवाई के लिए ली और फाइल का अवलोकन करके वह काफी खिन्न हो गई क्योंकि बार-बार मौके दिए जाने के बावजूद कई राज्यों ने अपना जवाब दाखिल नहीं किया था।

इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु, हरियाणा, केरल, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और आंध्र प्रदेश के नाम पुकारे और उनके वकीलों से पूछा कि अभी तक जवाबी हलफनामे क्यों नहीं दाखिल हुए। न्यायालय ने इस मामले में उसके सामने पहली बार पेश होने वाले उन राज्यों को चार हफ्ते का समय दिया और इन राज्यों के संबंधित रिकॉर्ड के साथ पर्यावरण सचिवों को तलब किया जिनमें नोटिस तामील हो चुकी थी परंतु उन्होंने जवाब दाखिल नहीं किया था। न्यायालय ने इस मामले को अंतिम रूप से निबटारे के लिए चार हफ्ते बाद सूचीबद्ध किया।

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