नोट बंदी की मार अब मीडिया पर भी: हिन्दुतान टाइम्स के 4 संस्करण ख़त्म, एबीपी में 500 पत्रकारों की नौकरी पर खतरा

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नोटबंदी से सिर्फ आम लोगों को ही नहीं बल्कि देश के बड़े मीडिया संस्थानों को भी हिलाकर रख दिया है। साल 2017 की शुरुआत पत्रकारों के लिए दुखी करने वाली साबित हो रही है। कई मीडिया संस्थानों ने बड़ी संख्या में छंटनी की योजना बना दी हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक देश के एक बड़े अख़बार हिंदुस्तान टाइम्स ने अपने चार संस्करण और तीन ब्यूरो को बंद करने का फैसला लिया है।

इस फैसले के बाद इसके बाद लगभग 1000 पत्रकार बेरोजगार हो जायेंगे। हिंदुस्तान टाइम्स ने अपने सर्कुलर में कहा है कि कोलकाता, इंदौर, भोपाल, रांची संस्करण हिंदुस्तान टाइम्स 9 जनवरी से बंद कर देगा। बिड़ला ग्रुप की हेड शोभना भारतीय का कहना है कि उन्होंने इलाहाबाद, कानपुर और वाराणसी के ब्यूरो भी बंद करने का फैसला किया है।

कई मीडिया घरानों का कहना है कि इस तरह के फैसले डीमोनेटाइजेशन (नोट बंदी) के प्रभाव के कारण लेने पड़ रहे हैं। मीडिया घरानों का कहना है कि डीमोनेटाइजेशन के बाद कैश में आयी कमी के कारण उनके रेवेन्यू में जोरदार कमी आयी है। हालांकि मीडिया संस्थानों के डिजिटल माध्यमों के विज्ञापनों में इजाफा जरूर हुआ है।

हिंदुस्तान टाइम्स के मिंट अख़बार कर्मचारी हटाये गए  

हिंदुस्तान टाइम्स अपने बिजनेस ब्यूरो को बंद किया जा चुका है, ज्यादातर स्टाफ को हटाया जा चुका है। प्रबंधन का कहना है कि ‘समूह के बिजनेस पेपर मिंट को हिंदुस्तान टाइम्स के प्रबन्धन के जरिये चलाया जा रहा है।

एबीपी में भी होगी बड़ी छंटनी 

सूत्रों की माने तो एबीपी ग्रुप के मालिक अवीक सरकार अपने टीवी और अखबार जिसमे टेलीग्राफ भी शामिल है, में लगभग 500 कर्मचारियों की छुट्टी कर सकते है। वहीँ देश के सबसे बड़े मीडिया ग्रुप टाइम्स ऑफ़ इंडिया ने अब नयी रिक्रूटमेंट पर पूरी तरह रोक लगा दी है।

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