भारत में बच्चियों का पहला स्कूल खोलने वाली समाज सुधारक और मराठी कवयित्री सावित्रीबाई फुले को उनके 186वें जन्मदिन पर गूगल ने अपना डूडल समर्पित किया है।
डूडल में सावित्रीबाई अपने आँचल में बच्चों को आँचल में समेटते हुए दिखाया है। सावित्रीबाई फुले ने भारत में महिला शिक्षा की अलख उस दौर में जगाई जब इस बारे में सोचना दूर की कौड़ी समझा जाता था।
महिला शिक्षा के विरोधियों ने सावित्रीबाई फुले के तमाम मुश्किलें खड़ी लेकिन वे अपने पथ से कभी डटी नहीं।ऐसा माना जाता है कि महिला शिक्षा के विरोधियों ने स्कूल जाते वक़्त उन पर गंदगी फेंकी, उन्हें पत्थरों से मारा।
सावित्री बाई अपने साथ थैले में एक साडी साथ लेकर चलती थी ताकि स्कूल पहुँचने पर गंदगी वाली साड़ी बदली जा सके।
सावित्रीबाई का जन्म 3 जनवरी 1831 को महाराष्ट्र स्थित सतारा के गांव नायगांव में हुआ था और 9 वर्ष की उम्र में ही उनकी शादी ज्योतिबा फुले से कर दी गई। वे ज़िन्दगी भर समाज में फैली छुआछूत के लड़ती रही रही। उनकी मौत भी उनकी सेवा के कारण ही 10 मार्च 1897 को हुई जब वे प्लेग के मरीजों की सेवा कर रही थीं।
गूगल के इस डूडल को सोशल नेटवर्किंग साइट ट्विटर पर खूब तारीफ़े भी मिल रही है।