दलितों को उनके पते पर नहीं पहुँचाई जाती चिट्ठियां : उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी

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भारत में सामाजिक न्याय की जमीनी हालत पर सवाल उठाते हुए उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी ने इसे निराशाजनक बताया है। उन्होंने कहा कि 70 साल तक कल्याणकारी योजनाओं के कार्यान्वन के बावजूद सामाजिक न्याय की जमीनी स्थिति निराशाजनक है। उन्होंने कहा “हम बराबरी वाली सीढ़ी पर कहाँ खड़े है?
सत्तर साल तक विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं को लागू करने के बाद यह सवाल हम जनतंत्र के नागरिकों को सत्ता से जरूर पूछना चाहिए।” यह बात उन्होंने इंडियन एसोसिएशन ऑफ़ लॉयर्स के नौवें राष्ट्रीय सम्मलेन के उद्घाटन पर भाषण देते हुए कही।
शोध संगठन न्यू वर्ल्ड वेल्थ की रिपोर्ट का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि भारत विश्व में गैर बराबरी में 12वां स्थान रखता है जहाँ 45% धन करोड़पतियों के पास है। उन्होंने कहा कि “तीस प्रतिशत आबादी के पास कुल धन का केवल 1.4 % हिस्सा ही है।”

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की अनुसूचित जाति अत्याचार निवारण पर एक रिपोर्ट को उद्धृत करते हुए उन्होंने कहा कि जाति आधारित हिंसा अभी भी जारी है और प्रत्येक 18 मिनट पर एक दलित के खिलाफ हिंसा की जाती है।

आंकड़े हमें यह भी बताते है कि 28 प्रतिशत गांवों में दलितों को पुलिस थाने में घुसने से रोक दिया जाता है वही 39 प्रतिशत सरकारी स्कूलों में उनके बच्चों को अलग बैठने के लिए बाध्य किया जाता है। साथ ही, चौबीस प्रतिशत गांवों में उनके पतों पर चिट्ठियां नहीं पहुंचाई जाती ।

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