काले धन को सफेद करने के शक में 200 राजनैतिक दलों पर चुनाव आयोग ने कड़ा रूख अपनाते हुए सूची से बाहर करने की तैयारियां शुरू कर दी है जिसके लिए जल्द ही केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) को पत्र लिखकर सूचना दी जाएगी। सूची से हटाई जाने वाली पार्टियों की डिटेल्स से जुड़ी एक लिस्ट भी (CBDT) को भेजी जाएगी ताकि बोर्ड उन पर कार्रवाई कर सके।
Photo: NDTVचुनाव आयोग ने 200 ऐसे राजनैतिक दलों की एक सूची तैयार की है जिन पर उन्हें शक है कि ये लोग केवल कागज पर ही राजनैतिक पार्टियां है। इन्होंने 2005 से कोई चुनाव नहीं लड़ा। चुनाव आयोग के अनुसार इनमें से कई दलों ने अभी तक अपना आयकर रिटर्न भी नहीं भरा है। चुनाव आयोग को शक है कि इन पार्टियों का गठन केवल काले धन को सफेद करने के लिए ही किया गया है। चुनाव आयोग ने इस तरह के 200 दलों को निष्क्रियता के चलते बाहर करने का मन बना लिया है। जो केवल काजगों पर ही राजनैतिक पार्टियां है।
जनसत्ता की खबर के अनुसार, (CBDT) को इनकी सूची भेजने के पीछे चुनाव आयोग को उम्मीद है कि बोर्ड इन राजनैतिक पार्टियों के वित्तीय मामलों की जांच करेगी क्योंकि सूची से बाहर होने के बाद वह पंजीकृत राजनैतिक दलों के फायदों से वंचित हो जाएंगे। सूत्रों ने कहा कि (CBDT) इन डि-लिस्टेड पार्टियों के वित्त पर अच्छे से नजर डालेगा ताकि एक संदेश दिया जा सके कि काले धन को सफेद करने के लिए राजनैतिक पार्टी बनाना ठीक तरीका नहीं है।
सूत्रों के अनुसार, चुनाव आयोग ने विभिन्न सरकारों को कानून में बदलाव करने के लिए प्रस्ताव दिया था ताकि राजनैतिक दलों को मिलने वाले चंदों और उसे खर्च करने के तरीकों में पारदर्शिता लाई जा सके, जो सालों से लटका पड़ा है। कुछ समय पहले चुनाव आयोग ने संविधान के अनुच्छेद 324 के तहत मिली शक्तियों को इस्तेमाल करने का फैसला किया जो उसे सभी चुनावों की कार्रवाई के नियंत्रण का अधिकार देता है। इसी शक्ति के तहत आयोग ने 200 राजनैतिक पार्टियों को डि-लिस्ट करने का फैसला किया है।
चुनाव आयोग का डाटा दिखाता है कि देश में अभी 7 राष्ट्रीय दल, 58 प्रादेशिक पार्टियां और 1786 रजिस्टर्ड अपरिचित पार्टियां हैं। वर्तमान कानून के तहत, चुनाव आयोग के पास राजनैतिक दल को रजिस्टर करने की शक्ति तो है, मगर किसी पार्टी को अपंजीकृत करने का अधिकार नहीं है जिसे मान्यता दी जा चुकी है।
चुनाव आयोग ने कई केंद्र सरकारों को पूर्व में निष्क्रिय राजनैतिक दलों को डि-रजिस्टर करने की शक्ति देने को कहा था, मगर कुछ नहीं हुआ। पार्टियों को फंडिंग के मुद्दे पर 2004 में, तत्कालीन मुख्य चुनाव आयुक्त टीएस कृष्णमूर्ति ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर सुझाव दिया था कि राजनैतिक पार्टियों को सभी दानकर्ताओं की जानकारी रखनी चाहिए चाहे चंदे की रकम 20,000 रुपए से कम क्यों न हो।
आपको बता दे कि इससे पूर्व ही चुनाव आयोग ने जाहिर किया था कि 400 ऐसी पार्टियां हैं जिन्होंने कभी कोई चुनाव नहीं लड़ा है। केंद्रीय निर्वाचन आयुक्त नसीम ज़ैदी ने काले धन को लेकर अपनी शंका जाहिर की थी कि इन पार्टियों का गठन काले धन को सफेद करने के उद्देश्य से भी किया जा सकता है।
केंद्रीय निर्वाचन आयुक्त नसीम जैदी ने बताया था कि दुनियाभर में सबसे ज्यादा रजिस्टर्ड राजनैतिक दलों वाले देश में काले धन को छिपाने के लिए ऐसी पार्टियों के इस्तेमाल की आशंका को खत्म करने की खातिर चुनाव आयोग ने ऐसी पार्टियों का नाम अपनी सूची से काटने की प्रक्रिया शुरू कर रहा है। इसी के चलते चुनाव आयोग अब केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) को पत्र लिखकर डिटेल्स से जुड़ी एक लिस्ट भेज रहा है ताकि बोर्ड उन पर कार्रवाई कर सके।