नए सेनाध्यक्ष की नियुक्ति पर केंद्र की मोदी सरकार की लगातार आलोचना हो रही है जिसमें सीनियरटी को अनदेखा करते हुए बिपिन रावत को सेनाध्यक्ष नियुक्त किया गया है।
कांग्रेस ने इस नियुक्ति पर सवाल खड़े कर दिए हैं जिससे राजनीतिक घमासान शुरु हो गया है। कांग्रेस के नेता शहजाद पूनावाला ने नए सेनाध्यक्ष की नियुक्ति पर सवाल खड़े करते हुए मोदी सरकार पर धार्मिक भेदभाव की बात कही है।
https://twitter.com/Shehzad_Ind/status/810174364050038784
पूनावाला ने ट्वीट कर कहा कि पीएम मोदी लेफ्टिनेंट जनरल मोहम्मद अली हरीज को पहला मुस्लिम जनरल नहीं बनाना चाहते थे, इसलिए दो वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों की अनदेखी की गई।
पूनावाला ने ट्वीट किया, ”अगर मोदी बिपिन रावत को बिना बारी के आर्मी चीफ नहीं बनाते तो हरीज लेफ्टिनेंट बक्शी के कार्यकाल के बाद सेना के पहले मुस्लिम प्रमुख होते। लेकिन मोदी ऐसा नहीं चाहते थे।”
एक अन्य ट्वीट में उन्होंने लिखा कि शायद आरएसएस मानसिकता के चलते मोदी सरकार किसी अल्पसंख्यक के सेना प्रमुख बनने को सहन नहीं कर सकती थी। उन्होंने आगे लिखा, ”भूतकाल में एक लेफ्टिनेंट जनरल की अनदेखी की गई थी जो की कभी नहीं हुई।
Never before 2 Lt Gen superseded.Even if 1983 was repeated Hariz would be COAS.Modi's anti Muslim RSS mindset behind #Unpresidented act https://t.co/gRekk1EJxW
— Shehzad Jai Hind (@Shehzad_Ind) December 18, 2016
अब बक्शी को सीडीएस बनाने की बात की जा रही है। हरीज जो चीज डिजर्व करते थे वो मोदी सरकार के चलते नहीं मिल पाई। यदि 1983 को दोहराया भी गया तो हरीज चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ होते। इस अभूतपूर्व कदम के पीछे मोदी की मुस्लिम विरोधी आरएसएस मानसिकता है।”