डब्ल्यूबीओ एशिया प्रशांत खिताब जीतने और फिर इसका सफलतापूर्वक बचाव करने के बाद भारतीय स्टार मुक्केबाज विजेंदर सिंह की नजरें अब नए खिताब पर टिकी हैं और वह अगले कुछ महीने में राष्ट्रमंडल या ओरिएंटल खिताब के लिए चुनौती पेश कर सकते हैं।
कल रात सुपर मिडिलवेट खिताब के बचाव के दौरान विजेंदर ने तंजानिया के पूर्व विश्व चैम्पियन फ्रांसिस चेका को 10 मिनट से भी कम समय में नाकआउट किया और अपने आठ मैचों के पेशेवर करियर में अजेय अभियान जारी रखा। विजेंदर ने शनिवार की अपनी यह जीत शहीद सैनिकों को समर्पित की है।
विजेंदर अब लीसेस्टर में राष्ट्रमंडल खिताब के लिए चुनौती पेश कर सकते हैं. राष्ट्रमंडल सुपर मिडिलवेट खिताब फिलहाल ब्रिटेन के मुक्केबाज ल्यूक ब्लैकलेज के पास है जिन्होंने अपने करियर में 27 मुकाबलों में से 22 जीते हैं और तीन में उन्हें हार मिली जबकि दो ड्रॉ रहे।
भाषा की खबर के अनुसार हरियाणा के 31 वर्षीय मुक्केबाज विजेंदर ने कल रात के मुकाबले के बाद अगले साल की योजना को लेकर पूछे गए सवाल के जवाब में कहा, ‘फिलहाल नए साल के लिए मेरी कोई योजना नहीं है।
दिल्ली में मुकाबला करना या फिर विदेश में, मेरे लिए कोई अंतर पैदा नहीं करता. हम अगले प्रतिद्वंद्वी के बारे में सोचेंगे।
विजेंदर की 2017 में संभावनाओं पर उनके प्रमोटर आईओएस के प्रबंध निदेश नीरव तोमर ने बताया, ‘हम चर्चा कर रहे हैं कि विजेंदर वापस ब्रिटेन जा सकता है और संभवत: वहां मुकाबला कर सकता है या चीन में या दुबई में. इसलिए वह सिर्फ भारत में मुकाबला नहीं लड़ेगा।
उन्होंने कहा, ‘अगले साल लीसेस्टर में मुकाबले का विकल्प है. हम अगले मुकाबले पर चर्चा कर रहे हैं. मुझे लगता है कि हम नए खिताब के लिए जाएंगे क्योंकि यह खिताब उसके पास है।
हम राष्ट्रमंडल या फिर अंतरमहाद्वीपीय खिताब के लिए भी जा सकते हैं.’ उन्होंने कहा, ‘यह भी संभावना है कि वह डब्ल्यूबीओ यूरोपीय खिताब के लिए चुनौती पेश कर सकता है क्योंकि अपने अधिकांश मुकाबले उसने ब्रिटेन में लड़े हैं. इसलिए वह उसके लिए भी क्वालीफाई कर सकता है.’विजेंदर ने चेका के खिलाफ अपनी जीत देश के शहीद सैनिकों को समर्पित की।
उन्होंने कहा, ‘मैं यह जीत अपने शहीद सैनिकों को समर्पित करता हूं. मुझे मुकाबले से पहले उस समय बुरा लगा जब पता चला कि कश्मीर में आतंकी हमले में तीन सैनिक शहीद हो गए। मैं यह जीत उन सैनिकों को समर्पित करता हूं जो इस साल शहीद हुए, उन्हीं के कारण यह देश जहां है वहां पहुंचा है। उनके बिना हम कुछ नहीं है।