देश भर में ट्रिपल तलाक की बहस चल रही है। और चुनावी बयानबाजी लगातार तेज़ हो गई है वही विपक्ष का कहना है कि मोदी सरकार इस धार्मिक मुद्दे में दखल देकर आने वाले विधानसभा चुनाव में धुर्वीकरण राजनीति करना चाहती है। लेकिन तलाक पर हिंदु और मुस्लिम महिलाओं के जो आंकडें सामने आ रहे हैं वो काफी चौंकाने वाले हैं।
“तलाकशुदा भारतीय महिलाओं में 68 प्रतिशत हिंदू महिलाएं हैं, जबकि सिर्फ 23.3 फीसदी मुस्लिम महिलाएं IndiaSpend.org ने भारतीयों की वैवाहिक स्थिति के बारे में 2011 की जनगणना के आकड़ों के हवाले से एक रिपोर्ट में कहा।
ये आंकडें हाल ही में कानून आयोग के यूनिफार्म सिविल कोड के निर्माण, विशेष रूप से ट्रिपल तलाक पर प्रतिबंध के विरोध में मुस्लिम संगठनों द्वारा सामने लाये गए थे।
2011 की जनगणना के आंकड़ों से पता चला कि, “तलाकशुदा पुरुषों में हिंदु 76 प्रतिशत हैं, और मुसलमान 12.7 प्रतिशत । ईसाई महिलाओं और पुरुषों दोनों अपने लिंग-संबंधित समूहों में 4.1 प्रतिशत हैं |”
आंकड़ों के मुताबिक असफल विवाह के मामले शहरों की तुलना में ग्रामीण भारत में ज्यादा हैं क्योंकि वहां अभी भी भारत की एक बड़ी आबादी रहती है। ग्रामीण क्षेत्रों में तलाकशुदा व्यक्तियों की संख्या 8.5 लाख है जबकि शहरी भारत में 5.03 लाख तलाकशुदा व्यक्ति हैं।
जनगणना के आंकड़ों से यह भी पता चला है कि भारत में पुरुषों की तुलना में अधिक महिलाओं औपचारिक तलाक के बिना अपने पति से अलग रह रही हैं ।
धार्मिक समुदायों के भीतर, अलग रहने वाले महिलाओं-पुरुषों के अनुपात में सबसे ज्यादा असंतुलन मुसलमानों के बीच दर्ज किया गया है, मुसलमानों में अलग रहने वाली महिलाओं की आबादी 75 है। ईसाई महिलायें दुसरे नंबर पर हैं, जो अपने समुदाय के भीतर अलग रहने वाली जनसंख्या का 69 प्रतिशत हैं।