नोएडा में नक्सली कमांडर सहित 9 गिरफ्तार, भारी मात्रा में विस्फोटक, डेटोनेटर बरामद

0

यूपी के आतंकवाद रोधी दस्ते (एटीएस) के हाथ बड़ी कामयाबी लगी है। कार्रवाई के जरिए दोनों यूपी के नोएडा से 9  नक्सलीयों को गिरफ्तार किया है। यूपी एटीएस के आईजी असीम अरुण ने इस मामले में प्रेस कॉन्फ्रेंस की है। उन्होंने खुलासा किया है कि ये लोग यहां अपराधिक गतिविधियां करने के लिए जुट रहे थे, फिलहाल जांच जारी है। संभव है अभी और गिरफ्तारियों हो।

आईजी के मुताबिक पकड़े गए 9 नक्सलियों में से एक रंजित पासवान पीपल्स वॉर ग्रुप का एरिया कमांडर रहा है

पकड़े गए नक्सलियों की पहचान मधुबनी बिहार के रहने वाले पवन उर्फ भाई जी, चंदौली के रहने वाले रंजीत पासवान (बम बनाने में हैं निपुण), बिलासपुर ग्रेटर नोएडा के रहने वाले सचिन कुमार, सासाराम बिहार के रहने वाले कृष्णा कुमार राम, (बम बनाने में माहिर), बुलंदशहर के रहने वाले सूरज (स्थानीय संपर्को), अलीगढ़ के रहने वाले आशीष के रूप में हुई है। पवन के ही प्रदीप होने की संभावना जताई जा रही है।

प्रदीप कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) लातेहार का एरिया कमांडर बताया जा रहा है। बताया जा रहा है कि झारखंड सरकार ने प्रदीप पर पांच लाख रुपये का इनाम घोषित किया हुआ है। जबकि तीन नक्सलियों की पहचान नहीं हुई है।

हालांकि, गिरफ्तार नक्सलियों के नाम की पुष्टि एटीएस ने नहीं की है। इनसे छह पिस्टल और 50 से अधिक कारतूस सहित अन्य सामान बरामद होने की बात सामने आ रही है। एक वैगनआर कार भी बरामद की गई है। पड़ोसियों ने बताया कि वे इस फ्लैट में एक माह से रह रहे थे। प्रदीप 2012 से ही नोएडा में था।

ये लोग दिल्ली-एनसीआर में सिलसिलेवार घटनाओं को अंजाम देने की साजिश रच रहे थे। इसके बाद इनकी कैमूर भभुआ, बिहार भागने की योजना थी। इनसे मिलने के लिए मुंबई और अन्य प्रदेशों से इनके साथी आते रहते थे। सर्विलांस से मिली जानकारी के आधार पर एटीएस ने पूरी कार्रवाई को अंजाम दिया है। आसपास रहने वालों ने बताया कि ये किसी से बात नहीं करते थे।

जिस फ्लैट में ये रह रहे थे वह अहिंसा खंड, इंदिरापुरम के रहने वाले वेणू का है। इन्होंने फ्लैट प्रॉपर्टी डीलर के माध्यम से दिया था। इसमें एक महिला भी रहती थी जो शनिवार को मौजूद नहीं थी। यह फ्लैट ओखला के डॉक्टर कयूम का बताया गया है।

Previous articleModi hits out at Pakistan on terrorism, but chooses not to name
Next articleWhy Muslim Personal Law Board needs to rethink its stand on triple talaq