भारत के इन कूटनीतिक प्रयासों से ऐसे बेनकाब हुआ पाकिस्तान

0

उड़ी में 18 सितंबर को आतंकियों के हमले में भारत के 18 सैनिकों के शहीद होने के बाद भारत ने पाकिस्तान को अलग-थलग करने और उस पर दबाव बनाने के लिए कई कदम उठाए गए।

संयुक्त राष्ट्र महासभा में उसके यहां आतंक के पलने-पोसने से लेकर बलूचिस्तान में उसके जुल्मो सितम तक को भारत ने उठाया। इसके अलावा सार्क शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री ने शिरकत नहीं करने का फैसला किया, जिसकी वजह से पाकिस्तान में होने वाला यह सम्मेलन रद्द होने के कगार पर है। उड़ी हमले के बाद भारत ने ये कदम उठाए -’28 सितंबर की देर रात भारत ने पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में तीन किलोमीटर घुसकर सर्जिकल आॅपरेशन किया। इसका उद्देश्य आतंकियों की घुसपैठ और संभावित आतंकी हमले रोकना था।

’पाकिस्तान को घेरने के लिए भारत ने फौरन कूटनयिक प्रयास शुरू कर दिए। उसे अलग-थळग करने के लिए विश्व मंच पर पाकिस्तान की करतूतों को उजागर किया गया।

भाषा की खबर के अनुसार,  सिंधु जल समझौते का मुद्दा उठाया गया,प्रधानमंत्री ने कहा कि पानी और खून साथ-साथ नहीं बह सकते। ’दक्षेस सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भाग नहीं लेने का फैसला किया। बांग्लादेश, अफगानिस्तान और भूटान ने इसका अनुसरण किया और यह सम्मेलन निरस्त हो गया। ’यूरोपाय यूनियन में बताया गया कि पाकिस्तान दहशतगर्दों की पनाहगाह है।

’बलूचिस्तान में मानवाधिकारों के उल्लंघन के मुद्दे को बार-बार उठाया गया। नतीजा यह हुआ कि यूरोपीय यूनियन ने पाकिस्तान को चेताया कि यदि वह अपनी हरकतों से बाज नहीं आया तो उसके खिलाफ पाबंदियां लगा दी जाएंगी। ’पाकिस्तानी दूत अब्दुल बासित को दो बार तलब किया गया और उन्हें सीमा पार से आतंकी हमले के सबूत पेश किए गए। ’संयुक्त राष्ट्र महासभा में विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने पाकिस्तान को वैश्विक दहशतगर्दी की पनाहगाह बताया और उसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अलग-थलग करने के लिए दबाव बनाया।

Previous articleसीमापार बढ़ते तनाव पर महबूबा मुफ्ती ने कहा- जम्मू-कश्मीर के लिए पैदा हो सकती है बड़ी आपदा
Next articleJammu and Kashmir: Pakistan violates ceasefire again in Akhnoor district