गुजरात में दलितों पर अत्याचार जारी, 27 परिवार अपने ही गावं से बाहर रहने पर मजबूर

0

गुजरात में दलितों पर हो रहे अत्याचार रुकने का नाम ही नहीं ले रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हिदायत के बावजूद गुजरात के एक गांव से दलितों पर हो रहे अत्याचार की खबर आई है। इस बार खबर यह है कि दलितों के 27 परिवारों को उन्हीं के गांव से बेघर कर दिया गया। और अब हालत ये है कि ये सभी परिवार अब अपने गांव से 15 किलोमीटर दूर शरणार्थियों की तरह रहने पर मजबूर हैं।

Photo: Indian Express

आपको बता दें कि यह मामला गुजरात बंसकअनथा जिले का है। ये सभी लोग दो साल पहले तक जिले के घदा नाम के गांव में रहते थे लेकिन अब ये 15 किलोमीटर दूर सोदापुर में रहने को मजबूर हैं। यहां इन लोगों के पास करने को कोई खास काम नहीं है और साथ ही साथ इनके बच्चों की पढ़ाई भी छूट गई है। लोगों के मुताबिक, उनके गांव में छूआछूत इतने बड़े पैमाने पर है कि इसकी वजह से एक शख्स की जान तक ले ली गई थी। यह जिला आलू की खेती के लिए मशहूर है। ये दलित परिवार भी वहां लगभग 100 बीघे जमीन पर खेती किया करते थे। इन दलित परिवारों ने बताया कि छुआछूत से परेशान होकर उनके परिवार की लड़कियों के साथ-साथ लड़कों ने भी स्कूल जाना छोड़ दिया। उनके मुताबिक, स्कूल वहां से दूर था और स्कूल में भी उनके साथ भेदभाव होता था। बच्चे उनसे बोलने को तैयार नहीं होते थे।

जनसत्ता की खबर के अनुसार, 9 साल पहले शुरू हुआ सबकुछ। ये लोग बताते हैं कि उनके परिवार में से रमेश नाम का एक लड़का था। 22 साल का रमेश पढ़ा-लिखा था। एक दिन वह घदा के मंदिर में चला गया। इसपर गांव के लोगों को गुस्सा आ गया और उसे ट्रेक्टर से कुचलकर मार दिया गया। इसके बाद गांव वालों ने सरकारी दफ्तरों के बाहर 5 साल तक प्रदर्शन किया। आखिर में दो साल पहले इन सबको सोदापुर में शिफ्ट कर दिया गया। लेकिन इन लोगों के लिए अबतक पक्के घर नहीं बनवाए गए हैं। वहीं घदा गांव के पुराने सरपंच का कहना है कि गांव में छुआछूत नहीं है। वहीं रमेश के मर्डर पर किए गए सवाल पर उन्होंने कहा कि वह बस एक एक्सिडेंट था।

लेकिन ये सभी दलित परिवार अब वाले सरपंच को बहुत अच्छा मानते हैं। उसका नाम अमरसिंर राजपूत है। वह इनकी काफी मदद भी कर रहा है। उसी के प्रयासों के तहत कुछ परिवार वापस घदा आ भी रहे हैं। बाकी जो परिवार अब सोदापुर में ही रहना चाहते हैं फिलहाल सरकार की तरफ से उन्हें कोई मदद नहीं मिल रही है। परिवारों ने बताया कि सरकार ने जमीन देने के बाद प्रत्येक घर के लिए 45 हजार रुपए दिए थे लेकिन उनमें से 10 हजार तो सिर्फ उस जगह का भराव करवाने में ही लग गए।

(with inputs from Jansatta)

Previous article19 medical students expelled for bogus caste certificates
Next articleAshwin has been brilliant as India’s No 6, feels Sanjay Bangar